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________________ ३७६ विपाकश्रुते गसेणे ते कोडंबियपुरिसे एवं वयासी-'अहण्णं देवाणुप्पिया! पुरिमतालणयरे सयमेव गच्छामि । तए णं से कोडंबियपुरिसे सकारेइ,सम्माणेइ,सकारिता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ ॥सू०१९॥ टीका 'तए णं' इत्यादि । 'तए णं ते कोवियपुरिसा महब्बलस्स रणो करयल जाव पडिसुणेति' ततः खलु ते कौटुम्बिकपुरुषाः महावलस्य राज्ञः करतलपरिगृहीतं शिरआवत मस्तके अञ्जलिं कृत्वा तथेति-'तथाऽस्तु' इति कृत्वा मतिशृणोति आज्ञां स्वीकरोति । 'पडिसुणित्ता पुरिमतालाओ. णयराओ' प्रतिश्रुत्य, पुरिमतालानगरात् 'पडिणिक्खमंति' प्रतिनिष्क्रामन्ति-निर्गच्छन्ति, 'पडिणिक्वमित्ता' प्रतिनिष्क्रम्य 'णाइविक्किटुर्हि' नातिविकृष्टैः अतिदीधैः, 'अद्धाणेहिं' अवभिः मार्गः 'मुहेहि सुखैः मुखजनकैः, 'पायरासेहिं' प्रातराशैः= पातरशनीयैः प्रातःकाले भोजनीयैः सह 'जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव __ 'तए णं ते' इत्यादि । 'तए णं' इस प्रकार के आदेश को सुनने के बाद ते कोडुंबियपुरिसा' उन कौडम्बिकापुरुषोंने 'महव्वलस्स रण्णा' महाबल राजा को 'करयल जाव पडिमुणेति' सादर करबद्ध नमस्कार कर उनके द्वारा प्रदत्त आदेश को स्वीकार किया । 'पडिसुणित्ता' एवं स्वीकार कर 'पुरिमतालाओ णयराओ' वे पुरिमताल नगर से ‘पडिणिक्खमंति' शालाटवी की ओर जाने के लिये निकले 'पडिणिक्खमित्ता' निकल कर 'गाइविक्किठेहिं अद्धाणेहि' अतिदूर नहीं ऐसे नजदीक के मार्ग से चलते हुए 'सुहेहिं सुखपूर्वक 'पायरासेहि रास्ते में कलेवा करते२ वे सब के सब 'जेणेव सालाडवी चोरपल्ली' जहां वह शाला 'तए णं ते 'त्या. 'तए णं' मा प्रमाणे माहेशने सामगीन पछी 'ते कोडवियपुरिसा' ते ४ि पुरुषेये 'महब्बलस्स रण्णा' महरातने 'करयल जाव पडिसुर्णेति ' सा२ मे ७५ लेडी नम२४४२ ४श तेभरे मापेक्षा हुमना वीर यह 'पडिमृणित्ता' से प्रभारी २वी४।२ ४ीने 'पुरिमतालाओं णयराओ' त ता नगरथी 'पडिणिकवमंति' शासाटवी त२६ ४१ भाटे नीvil 'पडिणिक्खमित्ता' नवीन णाइविक्किठेहिं अद्धाणेहिं ' मई २ न मेवा ना माथी यासता या 'सुहेहि' सुमपूर्व पायरासेहिं । २स्ताम 4 (1211, -पाएll) स्ता ४२ता ते सो 'जेणेव सालाडवी चोरपल्ली' न्य ते शामाटवी यो२५४ी ती, 'तेणेव उवागच्छंति' त्या भावी पया
SR No.009356
Book TitleVipaksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages825
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size58 MB
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