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________________ प्रियदर्शिनी टीका अ० ३२ प्रमादस्थानवर्णनम् ४६५ छाया-यथा विडालावसथस्य मूले, न सूषकाणां वसतिः प्रशस्ता । raha स्त्रीनिलयस्य मध्ये, न ब्रह्मचारिणः क्षमो निवासः ॥१३॥ टीका--' जहा विराला ' इत्यादि । यथा - विडालावसथस्य मार्जारनिवासस्थानम्य मूले=समीपे । मूषकाणां वसतिः = निवासः न प्रशस्तान हितकरा, एवमेव = स्त्रीनिलयस्य= स्त्रीनिवासस्य, मध्ये ब्रह्मचारिणो निवासः, न क्षमः=न योग्यः, तत्र ब्रह्मचर्य्यविघात संभवात् ॥ १३॥ aaaaaaa स्थितावपि यदि कदाचिन्त्री समागच्छेत् तदा यत् कर्त्तव्यं तदाह- · मूलम् - नं रूवलावण्ण विलासहॉस, न जंपि यं इंगिये पहिये वा । इत्थी विनिवेशा, ट्टु वस्से समंणे तवस्सी ॥१४॥ विविक्त वसति के अभाव में सूत्रकार दोष कहते हैं - 'जहा' इत्यादि अन्वयार्थ - (जहा- यथा) जैसे (विराला सहस्स सूले-बिडालावसथस्य मूले ) बिलाड़ी के स्थान के समीप ( मूसगाणं वसई-सूषकाणां वसतिः ) चूहों का रहना ( न पसस्था - न प्रशस्ता ) हितावह नहीं होता है । ( एमेव - एवमेव ) इसी तरह ( इत्थी निलयस्स मज्झे - स्त्री निलस्य मध्ये ) स्त्रीयुक्त मकान में (भयारिस्म निवासो न खमोब्रह्मचारिणः निवासः क्षमः न ) ब्रह्मचारी का रहना योग्य नहीं है । भावार्थ- बिल्ली जिस मकान में रहती हो उस मकान में चूहों की खैर नहीं होती है उसी प्रकार स्त्रीयुक्त मकान में ब्रह्मचारी का रहना उसके ब्रह्मचर्य का घातक होता है ॥ १३ ॥ विवित वसतिना अभावमा सूत्रार दोष मतावे छे - " जहा " त्यिाहि ! अन्वयार्थ – जहा- यथा प्रेम विरालावसहस्स मूले - विडोलाव मथस्य मूले 'ह२नु ं रहेवु ं न पसत्था मिसाडीना स्थाननी याचे मूसगाणं वसइ - सूषकाणां वसतिः - न प्रशस्त हितावह होतु नथी एमेव-एवमेव मे प्रभा इत्थीनिलयम्स मज्झेस्त्री निलयस्य मध्ये स्त्रीने। वसवाट होय सेवा भानभां वंभयारिस्स निवासो न खमो-ब्रह्मचारिणः निवास: न क्षमः श्रह्मयारीनुं रहेषु मे सेना ब्रह्मचर्य भाटे ઘાતક હાય છે ૫૧૩૫ ભાવા—ખિલાડી જે મકાનમાં રહેતી હૈાય તે મકાનમાં ઉદરાની તાકાત નથી કે તે ત્યાં નિઃશંક રહી શકે, તેજ રીતે સ્ત્રીવાળા મકાનમાં બ્રહ્મयारीने। निवास तेना प्रार्थना धात! अने छे. ॥ १३॥ उ० ५९
SR No.009355
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1039
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size75 MB
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