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________________ १२८ नन्दीसूत्रे ___टीका--' भरहम्मि अड्ढमासो' इत्यादि । क्षेत्रतः-भरते भरतक्षेत्रविषयेऽवधौ जाते सति कालतोऽर्धमासस्तद्विषयत्वेन बोद्धव्यः। 'जंबुद्दीवम्मि साहिओ मासो' इति, क्षेत्रतो-जम्बूद्वोपविषये तु अवधौ, कालतः साधिको मासः किञ्चिदधिकमासविषयकोऽवधिर्भवति । 'वासं च मणुयलोए' इति, क्षेत्रतो मनुष्यलोके अर्धत्तीयद्वीपसमुद्रपरिमाणमनुष्यलोकविषयेऽवधौ जाते सति कालतो वर्ष संवत्सरपर्यन्तं पश्यतीत्यर्थः। तथा-'वासपुहुत्तं च स्यगम्मि' इति, क्षेत्रतो रुचकाख्यवाह्यद्वीपविषयकेऽवधौ जाते सति कालतः वर्षपृथक्त्वं पश्यतीत्यर्थः ॥५॥ मूलम-संखेजम्मि उ काले, दीवसमुद्दा वि इंति संखेज्जा। कालम्मि असंखेज्जे, दीवसमुदा उ भइयव्वा ॥६॥ छाया-संख्येये तु काले, द्वीपसमुद्रा अपि भवन्ति संख्येयाः। _____ काले असंख्येये, द्वीपसमुद्रास्तु भाज्याः ॥६॥ 'भरहम्मि अड्ढमासो' इत्यादि । क्षेत्र की अपेक्षा-भरतक्षेत्र को विषय करनेवाले अवधिज्ञान के उत्पन्न होने पर काल की अपेक्षा वह अवधिज्ञान अर्धमास को-पन्द्रह. दिन को विषय करनेवाला होगा। जो अवधिज्ञान क्षेत्र की अपेक्षा जम्बूद्वीप को विषय करनेवाला उत्पन्न होगा वह अवधिज्ञान काल की अपेक्षा कुछ अधिक एक मास को विषय करनेवाला होगा। इसी तरह जो अवधिज्ञान अढाई द्वीप को विषय करनेवाला उत्पन्न होगा वह काल की अपेक्षा एक वर्ष पर्यन्त के काल का ज्ञाता होगा। तथा क्षेत्र की अपेक्षा जो रुचक नाम के द्वीप को विषय करनेवाला अवधि होगा वह काल की अपेक्षा वर्षपृथक्त्व का जाननेवाला होगा।गा०५॥ “भरहम्मि अट्टमासो" त्या. ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ ભરત ક્ષેત્રને વિષય કરનારૂં અવધિજ્ઞાન ઉત્પન્ન થતાં કાળની અપેક્ષાએ તે અવધિજ્ઞાન અર્ધા માસને (પંદર દિનને) વિષય કરનારૂં હશે અવધિજ્ઞાન ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ જમ્બુદ્વીપને વિષય કરનારું ઉત્પન્ન થશે તે અવધિજ્ઞાન કાળની અપેક્ષાએ એક માસ કરતાં કંઈક વધુ કાળ વિષય કરનારું હશે. એ જ પ્રમાણે જે અવધિજ્ઞાન અઢાઈદ્વીપને વિષય કરનારૂં ઉત્પન્ન થશે તે કાળની અપેક્ષાએ એક વર્ષ સુધીના કાળનું જ્ઞાતા હશે તથા ક્ષેત્રની અપેક્ષાએ જે રૂચક નામના દ્વીપને વિષય કરનારૂં અવધિ હશે તે કાળની અપેક્ષાએ વર્ષ पृथत्व लशुनार शे. ॥गा. ५॥ .
SR No.009350
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages940
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size58 MB
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