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________________ ३२८.. ..." राजप्रश्नीयसत्रे मूलम्—सेणं एगेणं पागारेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सेणं पागारे तिपिण जोयणसयोई उई उच्चत्तेणं, मूले एग जोयण. सयं वित्रखंभेणं, मूले शिथन्न मज्झे पन्नासं जोयणाई विश्खंभेणं. उप्पि पणवीसं जोयणाई विखंभेणी मूले वित्थिपणे मज्झे संखित्त उपि तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे। सेणं पगारे जाणाविहपंचवण्णेहि कविसीसएहि उवसोभिए, तं जहा-कण्हेहि य नीलेहि य लोहिएहि य हालिदेहि य सुकिल्लेहि य ।। तेणं कवि सीसगाएगं जोयणं आ मेिणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं देसूर्ण जोयणं उर्दू उच्चत्तणं सव्व रयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ।।सू. ५३॥ छाया-तत् खलु एकेन प्रकारेण सर्वतः समन्तात् संपरिक्षिप्तम्, स खलु.. पाकार स्त्रीणि योजनशतानि ऊर्ध्वमुच्चत्वेन, मूले एक योजनशतं विष्कम्भेण, मूले विस्तीर्णो मध्ये पञ्चाशद योजनानि विष्कम्भेण, उपरि. पचविंशतिर्योजनानि विष्कम्भेण, मुले विस्तीर्णो मध्ये संक्षिप्तः उपरि तनुका गोपुच्छसं ... स्थानसंस्थितः सरत्नमयः अच्छः यावत् प्रतिरूपः। - 'सेणं एगेणं पागारेणं सबओ समंता सपरिविखत्ते' इत्यादि।... ... सूत्रार्थ--(से ण, गेण पागारेण सम्पओ समंता संपरिक्खित्ते) यह विमान एक प्राकार किल्ला से चारों दिशाओं में एवं चारों विदिशाओं में परिवेष्टित है (ते पागारे तिणि जोयणसयाई उडः उचलेण, मूले एगं जोयणसय विक्खभेण, मज्झे पन्नासजोयणाई विक्खंभेण. उपि पणवीस जोयणाई. विक्खीण) यह माकार ऊपरके भागमें ऊंचाई की अपेक्षा ३०० तीन सौ योजनका है. अर्थात् इसका ऊपर का भाग ३०० योजन प्रमाण 'सेण: एगेण पागारेणं सबओ समता सपरिक्खित्ते' इत्यादि । सूर्या-(सेणं एगेणं पागारेणं सन्चो समता सपरिक्खित्ते) विमान थे. प्राR () थी यारे हिवामामा परिवष्टित छ. ( से गपागारे . तिणि जोयणसयाइ उडः उच्चशेण, मूले एग जोयणसय विक्ख भेण, मझ पन्नासंजोयणाइ विक्ख भेणं, उपि पणवीस जोयणाइ विक्खंभेण) 0 प्राधार (કેટ) ની ઉંચાઈમાં ઉપરના ભાગમાં ૩૦૦ ત્રણ જન જેટલી છે, એટલે કે આને
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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