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________________ क्रमाङ्क विषय पृष्ठाङ्क २३ अक्षपाटक और अक्षपाटक में रही हुई वस्तुओं का वर्णन ४९८-५०४ २४ स्तूप का वर्णन ५०५-५१८ २५ सुधर्मसभा का वर्णन ५१९-५४४ २६ जिन पडिमा के स्वरूप का निरूपण ५४४-५४९ २७ उपपातसभा का वर्णन ५५०-५५८ २८ उपपात के अनन्तर सूर्याभदेव का चिन्तन ६५८-५६५ २९ सोमानिकदेव के कथनानुसारले सूर्याभदेव का कार्य करना ५६६-५६९ ३० सूर्याभदेव का इन्द्राभिषेक का वर्णन ५६९-५८८ ३१ सूर्याभविमान का देवों द्वारा के सज्जीकरण का वर्णन ५८८-६०६ ३२. सूर्याभदेव के इन्द्राभिषेक आदि का वर्णन ६०६-६१२ ३३ मूर्याभदेव के गन्धइत्यादि धारण करनेका वर्णन ६१२-६१९ ३४ सूर्याभदेव के अलङ्कारधारण करना इत्यादि का वर्णन ६१९-६२४ ३५ सूर्याभदेव के कार्यक्रम का वर्णन ६२५-६५२ ३६ सूर्याभदेव कृत प्रतिमापूजा चर्चा . . . . ६५३-६८० ३७ सूर्याभदेव का सुधर्मसभा प्रवेश आदिका निरूपण ६८०-७०३ ३८ सूर्याभदेव की स्थिति विषय में गौतमस्वामी का प्रश्न ७०३-७०६ समाप्त
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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