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________________ श्री राजप्रश्नीय सूत्र भा. १ की विषयनुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क विषय पृष्ठाङ्क १ मंगलाचरण १-१० २ आमलकल्पा नगरी का वर्णन ११-१६ ३ सूर्याभदेवने अवधिज्ञान से जम्बूद्वीपको देखा १७-२१ ४ आमलकल्पानगरी में विराजमान भगवान को वन्दना के लिये सूर्याभदेव का आना २२-५७ ५ देवकृत समवसरण भूमिका संमाज नादिका वर्णन ६ भगवान् को वन्दना के लिये सूर्याभदेवकी घोषणा ८४-८९ ७ भगवान को वरदना के लिये सूर्याभदेव का गमनकी व्यवस्था का वर्णन ९०-२२१ सूर्याभदेव का भगवानको वंदना करना और अपना परिचय देनेका वर्णन २२२-२२५ ९ भगवान् का स्वर्याभदेवको स्व कर्तव्य का कथन २२५-२२८ १० सूर्याभदेव का भगवान् की पर्युपासना का कथन २२८-२३० भगवान ने कही हुई धर्मकथा २३०-२३२ १२ सूर्याभदेव का भवसिद्धि आदि विषय में प्रश्नोत्तर २३३-२३८ १३ नाटयविधि बताने के लिये भगवान् के प्रति सूर्याभदेव की प्रार्थना २३९-२४६ १४ सूर्याभदेव के समुद्घात का वर्णन २४६-२७८ १५ मूर्याभदेव के नाट्यविधि को दिखाना २७८-३१२ १६ सूर्याभदेव का नाट्यविधि का संहरण ३१३-३१४ १७ देवद्धि के पतिसंहरण के विषय प्रश्नोत्तर ३१५-३११ १८ सूर्याभविमान का वर्णन ३२०-४४९ १९ वनषण्ड में रहे हुवे प्रासादावतसकों का वर्णन ४४९-४५८ २० पद्मवर वेदिका का वर्णन ४५९-४८३ २१ मूलप्रासादायत सकादिक का वर्णन ४८३-४९१ २२ सुधर्मलभा आदि का वर्णन ४९१-४९८
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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