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________________ प्रमेयवाविना का पद ३१ ० १० पुद्गलचयनिरूपणम् शरीरम् ? गौतम ! यस्यौदारिकशरीरं तस्याहारकशरीरं स्यादस्ति स्याग्नास्ति, यस्य पुनराहारकशरीरं तस्यौदारिकशरीरं नियमादस्ति, यस्य खल भदन्त ! औदारिकशरीरं तस्य तैजसशरीरं यस्य तैनसशरीरं तस्मैदारिकारीम् ? गौतम ! यस्यौदारिकशरीरं तस्य तैजसशरीरं नियमा इस्ति, यस्य पुनस्तैजसशरीरं तस्यौदारिकशरीरं स्यादस्ति स्याशास्ति, एवं कार्मणलस औरा लियसरी ?) जिसके आधारकशरीर होला है. उसके औदारिकशरीर होता है ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जस ओरालियरूरीरं तरल आहारगसरीरं लिय अस्थि, लिय नस्थि) जिलो औदारिकशरीर होता है उस के कदाचित् आहारक्रशरीर होता है और कदाचित नहीं भी होता (जस्स पुण आहारगसरीरं तस्ल ओरालियसरीरं णियला अल्थि) जिलके आहारकशरीर होता है उसके औदारिकशरीर निघल से होता है। ___(जस्स णं भले ओरालियलरीरं तरस लेयगसरीर) हे भगवन् ! जिसके औदा. रिकशरीर होता है, उसके तेजमशरीर होता है ? (जस्स तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरी ?) जिसके लैजसशरीर होता है, उसके औदारिकशरीर होता है ? (गोयमा ! जस्स ओरालियसरी तस्ल लेयगरीरं नियमा अत्थि) हे गौतम ! जिसके औदारिकशरीर होता है उसके लैजसशरीर लियन से होता है (जस्स पुण तेयगलरोरं तस्स ओरालियसरीरं लिय अस्थि, लिय नस्थि) किन्तु जिसके तेजप्तशारीर होता है उसके औदारिकशरीर कदाचित् होता है, कदाचित् नहीं होता (एवं स्मगलरी पि) इसी प्रकार कार्मणशरीर भी (जस्स णं संते ! वेउब्धियसरीरं तस्स आहारगलरीरं जस्स आहारगसरीरं रेनु गाई २४शरीर साय छे, नु योहा२ि४०१२ हाय छे ? (गोयमा ।) 3 गौतम ! (जस्ल ओरालियसरीर तस्स आहारगसरीरं सिय अस्थि, सिय नस्थि) 3 गीतम ! रेनु જેનું હારિક શરીર હોય છે, તેનું આહારઠશરીર કદાચિત હોય છે, અને કદાચિત્ નથી पर लातु (जस्त पुण आहारगसरीर तस्स ओरालियसरीर नियमा अस्थि) २ माडा२४ શરીર હોય છે, તેનું દારિક શરીર નિયમથી હોય છે. (जस्स भंते । ओरालियसरीर, तास तेयगसरीर) 3 मगवन् ! २२ मोहा२ि४२ डाय छे ते तस२।२ डाय छ ? (जस्त तेयगसरीर तस्स ओरालियसरीर) ने तेसश१२ डाय छ, तन मौ२ि४२००२ सय छ ? (गोयसा | जस्स ओरालियसरीर तस्स तेयगसरीर नियमा अत्थि) गौतम ! 27 मोहा२ि४२२ डाय छेतेन ते४२२२२ नियमयी डाय छ (जस्स पुण तेयगसरीर तस्स ओरालियसरीरं सिय अत्थि, सिय नन्थि) ५ जेनु तेसरी२ डाय छ, तनु मोहारिश१२ यत् डाय छ, ४ायित् नथी छातु (एवं कम्मगसरीर वि) ४ ४२ ४१ शरी२ ५४. (जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीर तस्स आहारगसरीर जस्स आहारगसरीर तरस वेज
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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