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________________ प्रमैयबोधिनी टीका पद १७ सू० ८ सलेश्याहारादिनिरूपणम् स्सागमओ विनिरबलो भाणियठयो जान देनाणिया, कण्हलेस्सा णं भंते ! नेरइया सव्ने समाहारा पुच्छा, गोयला जहा-ओहिया, नवरं नेरइया वेरणाए साइमिच्छादिट्टी उववनगा र, अमाइसम्मदिट्ठी उव. वनगा य साणिया, सेलं तहेव जहा मोहियाणं, असुरकुमारा जाव वाणमंतरा, एए जहा ओहिया, नवरं सगुस्साणं किरियाहिं विसेसो जाव तत्थ णं जे ते सम्सट्ठिी ते लिविही एज्जत्ता, तं जहा-संजया, असंजया, संजयालंजया य, जहा ओहियाणं, जो सियवेमाणिया आइ. ल्लियासु तिसु लेस्सासु ण पुच्छिन्नति, एवं जहा किण्हलेस्ता विचारिया तहा नीललेस्ला विचारेया, काउलेस्ला नेरइएहितो आरम्भ जाव वाणसंतरा, नवरं काउलेस्ता नेरइया वेपणाए जहा ओहिया, तेउलेस्लाणं भंते ! असुरकुमारणं ताओ चेत्र पुच्छाओ, गोचमा ! जहेव ओहिया तहेव नवरं वेयवाए जहा जोइसिया, पुढवि आउवणस्सइपंचिंदियतिरिक्रमणुस्सा जहा ओहिया तहेव भागियठवा, नवरं मणूसा किरियाहिं जे संजया ते पमत्ता च अपमत्ता य माणियव्या सरागवीयरागा नत्थि, वाणमंतरा तेउलेस्लाए जहा असुरकुमारा एवं जोइसिय वेमाणिया वि, सेसं तं चेन, एवं पहलेला वि भाणियव्वा, नवरं जेसिं अस्थि, सुकलेस्मा वि तहेब जेसिं अस्थि, सहवं तहेव जहा ओहियाणं गमओ, नवरं पम्हलेस सुकलेलाओ पंजिदियतिरिक्खजोणियमणूस. वेमाणियाणं चेव, न सेसा संति, पण्णवणाए भगवईए लेस्साए पढमो उद्देसओ समत्तो । सू० ८॥ छाया-सलेश्याः खलु भदन्त ! नैरपिकाः सर्वे समाहाराः समशरीराः समोच्छ्वासनिः सलेक्ष्य-आहार आदि की वक्तव्यता शब्दार्थ-(सलेस्सा णं भंते नेरड्या) हे भगवन् ! लेश्यावाले नारक (सव्वे समाहारा) सब समान आहारवाले (लबसरीरा) समान शरीर वाले (सभुस्सास સલેશ્યા-આહાર આદિની વક્તવ્યતા महा-(सलेस्साणं भंते ! नेरइया) मावन् ! वेश्यावाण ना२४ (सव्वे समाहारी) ५ समाना।२४। (समसरीरा) समान शरीय (समुस्सासनिस्सासा) समान पास
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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