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________________ ६७२ प्रथापनाले किं भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं यावद् वैमानिकदेवपश्चेन्द्रियवैमानिकशरीरम् ? गौतम ! भवनवासिदेवपञ्चन्द्रियवैक्रियशरीरभरि यावद् वैमानिकदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि, यदि भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रिय वैक्रियवैक्रियशरीरस किम् अकुरकुमारभवनवासिदेव पञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरस्. यावत् स्तनितकुमार भवनवासिदेव पञ्चन्द्रियबै क्रियशरीरम् ? गौतम! अमुरकुमार यावत् स्तनितकुमार पञ्चेन्द्रियवै क्रियशरीरमपि, यदि असुरकुमारदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं किं पर्याप्तकासुरकुमार भवनवासिदेव श्वेन्द्रियवैक्रियशरीरम् अपर्याप्तकासुरहै (किं भवणवालिदेवपंचिंदियदेउब्धियसरोरे जाव वेमाणियदेवपंचिंदियवेन्धियसरीरे ?) तो क्या भवलवाली देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है यावत् वैमानिक देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियार होता है ? (गोधमा! भवणवासीदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे जाच वेमाणियदेवपंचिंदियबेब्धियालरीरे) हे गौतम ! भवनवाली देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है यावत् वैमानिक देव पंचें. न्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है। ___ (जह भवणालीदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे किं असुरकुमार भवणवासीदेव पंचिदिय वेउब्विय सरीरे जाव णिशकुमार भवण वासीदेवपंचिंदिय वेउन्विय सरीरे ?) यदि भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है तो क्या असुरकुम र भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैकिथ शरीर होता है यावत् स्तनित कुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है ? (गोयमा ! असुर कुमार जाब णियकुमार भगवालोदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे वि) हे गौतम! असुरकुमार यावत् स्तनित कुमार भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर भी होता है (जइ असुरकुमार देव पंचिंदियवेउव्वियसरीरे कि पज्जत्तग असुर (जइ देव पंचिदिय वेउब्बियसरीरे) 4६ हेव पयन्द्रियाना वैठियशरी२ सय छ (किं भवनवासि , देव पंचिंदिय वेउव्वियसरीरे जाव वेमाणियदेवपंचिंदियवेउब्धियसरीरे ?) तो શું ભવનવાસી દેવ પદ્રિના વૈકિયશરીર હોય છે યાવત્ વૈમાનિક દેવ પંચેન્દ્રિયેના ३९२ छ १ (गोयमा । भवणवासी देवपंबिंदिय वेउब्वियसरीरे जाव वेमाणिय देव पचिंदिय वेउव्वियसरीरे) गौतम ! मनवासी है। पयन्द्रियाना अशी२ डाय छे થાવત્ વૈમાનિકદે પંચેન્દ્રિના ક્રિશરીર હોય છે. (जइ भवणवासीदेवपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे किं असुरकुमारभवणवासी देव पंचिंदिय वेउव्वियसरीरे जाव थणियकुमार भवणवासीदेवपचिदियसरीरे) यहि मनवासी हे पयદ્રિના ક્રિયશરીર હોય છે તે શુ અસુરકુમાર ભવનવાસી દેવ પરિદ્રના વૈકિયશરીર હોય છે યાવત્ સ્વનિતકુમાર ભવનવાસી દેવ દ્રિના વક્રિયશરીર હોય છે? (गोयमा । असुरकुमार जाव थणियकुमार भवणवासी देव पचिंदिय वेउव्वियसरीरे वि), 3 ગૌતમ! અસુરકુમાર યાવત્ સ્વનિતકુમાર ભવનવાસી દેવ પંચેન્દ્રિયેના વૈકિયશરીર પણ હોય છે.
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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