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________________ ६७० कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम्, नो अकर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम्, नो अन्तद्वीपगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम्, यदि कर्मभूमिग गर्मव्युत्क्रान्ति कमनुष्यपञ्चेन्द्रिवैक्रियशरीरं किं संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपश्चन्द्रियवैक्रियशरीरम्, असंख्येयवर्षायुष्क.कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम् ? गौतम ! संख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरस्, नो असंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियगर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर होता है ? (गोयमा ! कम्मभूमगगम्भव कंतियमणूसपंचिंदियवेउब्धियसरीरे) हे गौतम ! कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रिय शरीर होता है (जो अकम्मभूमगगम्भवतियमणूसपंचिंदियवेउब्वियसरीरे) अकर्मभूमि के गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर नहीं होता (जो अंतरदीवगगम्भवक्कंतियमणूसपंचिदियवेउब्वियसरीरे) अन्तरदीप के गर्भज अनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर नहीं होता (जइ कम्मभूमगगम्भवक्कंतियमणूसपंचिंदियवे उब्धियसरीरे) यदि कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर होता है (किं संखेजवासाउय कम्म भूमगगम्भवतियमणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, असंखेजवासोउयकम्मभूमगगभवनियमणूसपंचिंदियवेब्वियसरीरे ?) क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर होता है ? अथवा असं. ख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैफ्रियशरीर होता है ? (गोयमा! संखेजवासाउथकम्मभूमगगम्भवतियमनसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे) हे गौतम ! संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज वतिय मणूस पंचिंदिय वेउब्धियसरोरे) 3 गौतम | ४म भूभिना न मनुष्य पयन्द्रियना यशरी२ ७.२ (णो अकम्मभूमग गम्भवतिय मणूस पंचिदिय वेउब्बियसरीरे) म भूमिना - मनुष्य ५येन्द्रियना वैशिश२ डाdi नथा (नो अंतरदीवग गम्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउविएसरीरे) मन्त२ दीपना गरी मनुष्य पयन्द्रियना વૈકિયશરીર પણ નથી હોતાં. (जइ कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय वेउब्वियसरीरे) यहि भ भूमि भनुष्य पयन्द्रियना यशरी२ डाय छ (किं संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस पंचिदिय वेउब्धियसरीरे) शुसण्यातवर्ष ना• मायुवाणा ४म भूमि पर मनुष्य ५येन्द्रियन वैश्यशरी२ हाय छ १ (असंखेज्जवासाउन कम्मभूमग गम्भवकंतिय मणूस पंचिदिय वेउब्वियसरीरे १) 4241 मस-यात नी सायुवाणा ४मभूमि गल मनुष्य चयन्द्रियना वैठियशश२ डाय छ ? (गोयमा ! संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गम्भवतिय मणूस पंचिंदिय वेउब्वियसरीरे) गौतम ! सभ्यात नी मायुवा ४म भूमि से मनुष्य
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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