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________________ ६६० अंशापनास्त्र ब्वियसरीरे, जो अकल्मभूमग पसरवत्तिय मणूसपचिंदियदेउठिश्यसरीरे, णो अंतरदीवग गमवक्कतिय मणूसपंचिदिय देउठिबयलरीरे, जइ कम्मभूसग गमवक्कतिय मणूल पंचिंदियोउम्बियसरीरे किं संखेजवाला उय कामभूमग गसवक्कतिय लणूमपंदियउठिसयलरीरे, असंखेजवालाउय कल्लभूमग गभवरतिशमणूसपंचिंदियवेवियसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय कम्मभूलग गमयतिष मणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, नो असंखेनवालाउय' कस्मभूमा बसवक्कंतिय मणूसपंचिदिय वेउब्वियसरीरे, जइ संखेजनालाउन काम भृभगगम्भवक्क्रतिष मणूस पंचिंदियउब्वियसरीरे किं एज्जतगसंखेजवासाउयकम्मभूमग सणूसपंचिंदियवेउठिक्यसरीरे, अपज्जत्तमलखेज्जवासाउय कम्मसुसग गमवतिय मनपंचिंदिय बेउब्धियसरीरे ? गोयमा! पज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गभवतिय अणूसपंचिदियवेउव्वियसरीरे, नो अपज्जतग संखेजवालाउस कालभूमगगभरक्कं. तिय मणूसपंचिंदिय बेउव्वियसरीरे, जइ देवपंचिदिय बेउब्वियसरीरे कि अवणवासिदेव पंचिंदिय बेउव्जियतीरे विजाय माणियदेवपंचिं. दिय वेउब्वियसरीरे गोयमा ! भवालि देवपंचिदिर वेउवियसरीरे वि जाव वेमाणियदेव पंचिंदियवेरवियतीरे विमा सणवासिदेव पंचिं. दियवेउत्रियसरीरे कि असुरकुमासवणवालि देवपंचिंहिताव्यियसरीरे जाव थपियकुमारभवशासिदेव पंचिंदिय बेउठिश्यसरीरे ? गोयमा ! असुरकुमार जान थपियकुमार सवणवाति देव पंचिदिय वेउव्वियसरीरे वि जइ असुरकुमार देव पंचिंदिय वेउब्बियसरीरे कि पज्जत्तग असुरकुमार सत्रणालिदेश पंचिदिय वेउनियारीरे वि, अपज्जत्तग असुरकुमार अक्षणवासिदेव पंचिंदिय वेब्वियसरीरे नि, एवं जाव थणियकुमाराणं दुगओ भेदो, एवं वाणमंतराणं अविहागं, जोइसियाणं वंचविहाणं, वेमाणिया दुविहा-ऋप्पोवगा, कप्पातीया य कप्पा
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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