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________________ प्रमेययोधिनी दीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरभेदविरूपणट् संखिज साड्य वन्वर्तनिय पंचि देयतिरिश्वजोणिय वेडव्वियसरी रे, किं जलयर संखेनवासाय गन्धमवतिय पंचिदिवसिरिखजोणिय वेडविवचसरीरे थलयर संखेजरावाडय गव्यववतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय उन्निसरीरे, खड्यासंखेज्ज साउथ व्यवतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणियवेपिसरीरे, गोपमा ! जलयरसं खेजवालाउय गव्भवकंतिय पंचिदिति जो बेडतिरीरे वि, थलयरसंखेज्जवासाउe roar तियचिदिपतिरिक्ख जोगिय वेडन्चियरूरीरे वि, खहयरसंखेजवालाउच गवसतिष पंचिदियतिरिकखजोगियवे उव्वियसरी रे वि, जइ जलयर देखे जवासाज्य गमवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणिय वेडसरीरे किं मगजल पर पंखेजवाला व्ववकंतिय पंचिदियतिरिख जोणिय वेडव्वियसरीरे, अम्जनगजलयरसंखेजवासाज्य ग्रन्भवक्कंतिय पंनिदियतिरिक्खजोषिय वेरीरेय ? गोयमा ! जसगजलयर संखेज्जवासाज्य गमवक्कतियपविदियतिरिक्खजोणियवेडव्वि यसरीरे, तो अपजत्तगसंखेजवासाज्य गन्धवक्कंतिय पंचिदियतिरिक्ख जोणियवेडगिरी, जइ थक्कचरपंपिदिय जाव सरीरे किं चउप्पय जाव सरीरे किं परिसाव सरीरे ? गोयमा ! चउपय जाय संखेजवासाउथ परिसप्प जान सरीरे, एवं लव्वेलिं यव्वं जाय खहयराणं पज्जत्ताणं, नो अपजत्ताणं, जइ पणू पंरिदिय उदियसरीरे किं संमुच्छिममणूस पंचिदिय वे विषयसरीरे, गव्यवक्कतिय मणूस पंचिदिय उ. विसरीरे ? गोयला ! णो संमुच्छिम मणूसपंचिदिय उव्वियसरीरे, Torataय सर्वविदिय वेडव्विवसरीरे, जइ गव्भवक्कंतियमणुस्पंचिदिवेडसरीरे किं कम्पभूतग गव्भवतिय मणुस्स पंचिदिय वेव्वयसरीरे, अस्त्रभूम लिय मणूस पंचिंदिय वेव्वियसरीरे, अंतरदीयगव्भथक्कतिय अणू पंचिदिय वेडव्वियसरीरे ? गोयमा ! कम्म मृगगभवति मणूसपंचिदिय वेउ "
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
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