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________________ प्रज्ञापनासूत्रे ५४० प्रज्ञप्तः ? गौतम । द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - स्पृश्यमानगतिपरिणामच अस्पृश्यमान गतिपरिणामश्च अथवा दीर्घगतिपरिणामश्च ह्रस्वगतिपरिणाम २, संस्थान परिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - परिमण्डल संस्थानपरिणामः, यावत्आयतसंस्थानपरिणामः ३, भेदपरिणामः खलु भदन्त 1 कतिविधः प्रजप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - खण्ड भेदपरिणामः यावत् - उत्करिका भेदपरिणामः४, वर्णपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - काल वर्णपरि ' (गतिपरिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम! दो प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (फुसमाणगतिपरिणामे य अफुसमाणगतिपरिणामे य) स्पृशत् गतिपरिणाम और अस्पृशत् गतिपरिणाम ( अहवा) अथवा ( दीहगहपरिणामे य हस्सगइ परिणामे य) दीर्घगति परिणाम और ह्रस्वगति परिणाम (ठाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! संस्थान परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है ( तं जहा ) वह इस प्रकार (परिमंडलसंठाणपरिणामे) परिमंडल संस्थानपरिणाम (जाव) यावत् (आयतसंठाणपरिणामे) आयन संस्थानपरिणाम (भेद परिणामे णं भंते ! कइचिहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! भेद परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है (तं जहा वह इस प्रकार (खंडभेदपरिणामे जाव उक्करियाभेदपरिणामे) खंडभेद परिणाम यावत् उत्करिका भेद परिणाम (गतिपरिणामेण भंते! कइविहे पण्णत्ते) डे लगवन् ! जतिपरिलाभ डेटा प्रहारना seu ? (ñìanı! gfagı qonar) è silaḤ | A 48.2l sell (å FET) À 241 अक्षरे (फुसमाणगतिपरिणामे य अफुसमाणगतिपरिणामे य) स्पृशत् गतिपरिणाम अने अस्पृशत् गतिपरिणाम ( अहवा) अथवा ( दीहगइपरिणामे य हस्स गइपरिणामे य) ही ગતિપરિણામ અને હસ્વ ગતિપરિણામ (सँठाणपरिणामेण भंते | कइविहे पण्णत्ते १) हे भगवन् । संस्थान परिणाम डेटसा अारना ह्या छे ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गीतभ ! पांय अमरना' ह्या छे (तं जहा) ते मा प्रहारे (परिमंडलसंठाणपरिणामे) परिभउस संस्थानपरिणाम (जाव ) यावत् ( आयतसंठाण परिणामे) भायतसंस्थानपरिणाम (भेदपरिणामेण भंते! कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् ! लेह परिणाम डेटला अक्षरना ह्यां छे (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम! यांय अारना ह्यां (तं नहाते या अरे (खंडभेदपरिणामे जाव "उक्करियाभेदपरिणामे) भले परिणाम यावत् उत्परि ભેદ પરિણામ
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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