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________________ प्रम घोधितो टीका पद १३ सू. २ गतिपरिणामादिनिरूपणम् पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सामायिकचारित्रपरिणामः, छेदोपस्थापनीयचारित्रपरिणामः, परिहारविशुद्धीयचारित्रपरिणामः, सूक्ष्मसंपरायचारित्रपरिणामः, अयथाख्यातचारित्रपरिणाम:१०, वेदपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-स्त्रीवेदपरिणामः, पुरुषवेदपरिणामः, नपुंसकवेदपरिणामः ११, नैरयिकाः गतिपरिणामेन निरयगतिकाः, इन्द्रियपरिणामेन पञ्चेन्द्रियाः, कपायपरिणामेन क्रोधकपायिणोऽपि यावत्-लोमकपायिणोऽपि, लेश्यापरिणामेन कृष्णलेश्या थपि, नीललेश्या अपि, कापोतलेश्या अपि, __(चरित्तपरिणामे णं भंते ! कविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन ! चारित्रपरिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सामाइथचारित्तपरिणामे) सामायिक चारित्र परिणाम (छेदोवढावणियचारित्तपरिणामे) छेदोपस्थापनीय चारित्रपरिणाल (परिहारविसुन्द्धियचारित्तपरिणामे) परिहारविशुद्धिकचारित्रपरिणाम (सुहमसांपरायचारित्तपरिणामे) स्मृक्ष्यसाम्पराय चारित्र परिणाम (अहक्खायचारित्त परिणामे) यथाख्यात चारित्र परिणाम ___ (वेदपरिणामे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! वेद परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तील प्रकार का कहा है (इथिवेदपरिणामे, पुरिसवेदपरिणामे, णपुंसगवेदपरिणाले स्त्रीवेदपरिणाम, पुरुपवेद परिणाम, नपुंसकवेद परिणाम . (नेरइया) नारक जीव (गतिपरिणामेण) गति परिणाम से (निरयगतिया) नरक गतीक हैं (इंदिय परिणामेणं पंचिंदिया) इन्द्रिय परिणाम से पंचेन्द्रिय हैं (कसायपरिणामे गं कोहक साईवि जाव लोभकसाईवि) कषाय परिणाम (चरित्तपरिणामेगं भंते कइविहे पण्णत्ते १) ॐ सन् ! यास्ति परिणाम सारना इस छ ? (गोयगा | पंचविहे पण्णत्ते) 3 गौतम ५५ प्रा२ना ४ छ (तं जहा) त AL AR (समाइयचारित्तपरिणामे) सामायि: यानि परिणाम (छेदोवद्यावणिय चारित्तपरिणामे) छपरापनीय यारित परिणाम (परिहार विसुद्धिय चारित्तपरिणामे) ५२।२ विशुद्धि का परिणाम (सहुमसंपरायचारित्तपरिणामे) सूक्ष्भसापराय यारित परिणाम (अहक्खाय वारित्तपरिणामे) यथाभ्यात यारित परिणाम (वेदपरिणामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) 3 सपा ! वेदपरिणाम हैटसा प्र४२ घi छ ? (गोयमा तिविहे पण्णत्ते) : गौतम ! प्रा२ना ४ छ (इत्थिवेदपरिणामे, पुरिसवेदपरिणामे, नपुंमगवेदपरिणामे) स्त्रीवह परिणाम, ५३५३६परिणाम नY स४ ३४ परिणाम (नेरइया) न॥२४ ७१ (गतिपरिणामेण) गति परिणामथा (निरयगतिया) ना२४ गती छ (इंदियपरिणामेणं पंचिंदिया) धन्द्रिय परिणामयी ५येन्द्रिय छे (कसायपरिणामेणं कोह
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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