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________________ पुल्लिङ्ग विशिष्टार्थप्रतिपादिका वाणी, धान्यमिति नपुंसकवाक्-नपुंसकलिङ्ग विशिष्टार्थप्रतिपादिका चाणी वर्तते इति कियेपा प्रज्ञापनी सत्या खलु भाषा भवति ? नेपाभापा मृपा भव. तीति ? भगवानाह-'हंता, गोयमा ? पुढवित्ति इथिवज, आउत्ति पुमवऊ, वणित्ति णपुंसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भन्सा मोसा' हे भदन्त ! हन्त-सत्यम् , पृथिवी इति स्त्रीवाक्-स्त्रीलिङ्गविशिष्टार्थप्रतिपादिका वाणी, आप इति वाक्-पुरिलन विशिष्टार्थप्रतिपादिका वाणी, धान्यमिति नपुंसकना-नपुंसकलिङ्गविशिष्टार्थप्रतिपादिका वाणी एपा प्रज्ञापनी सत्या खलु मापा भवति, नेपा सापा मृपा भवति, सत्यार्थप्रतिपादकत्यात , नवरम् 'आऊ' आप इत्यस्य प्राकृतलक्षणशात् पुल्लिङ्गत्वं बोध्यम् , संस्कृते तु स्त्रीत्वमेव वर्तते, गौतमः पृच्छति-'अह भंते ! पुढवी ति इथि आणमणी, आउ ति पुमाणमणी, धण्णेत्ति णपुंसगाणमणी पण्णवणी णं एला भासा, ण एसा भासा मोसा?' हे भवन्त ! अथ पृथिवी इति भाषा रूच्याज्ञापनी-आज्ञाप्यतेऽनया सा आज्ञापनी स्त्रियाः-स्त्रीलिङ्गस्याज्ञापनी, आप इति विशिष्ट अर्थ की प्रतिपादक भाषा है ? 'धान्यम्' यह नपुंसकलिंग से विशिष्ट अर्थ का प्रतिपादन करने वाली भाषा है? क्या यह भाषा प्रज्ञापनी अर्थातू सत्य भाषा है ? यह भाषा सृषा नहीं है ? ____ भगवान् उत्तर देते हैं-हां गौतम ! 'पृथ्वी' यह स्लीवाक् अर्थात् स्त्रीलिंग विशिष्ट अर्थ का प्रतिपादन करनेवाली भापा है 'आप' यह पुंबाक है अर्थात् पुल्लिग अर्थ का प्रतिपादन करनेवाली भाषा है । 'धान्यम्' यह नपुंसकत्व विशिष्ट अर्थ का प्रतिपादन करनेवाली सापा है। यह भाषा प्रज्ञापनी अर्थातू सत्य है, यह भाषा वृधा नहीं है, क्योंकि यह सत्य अर्थ का प्रतिपादन करती है। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि 'आऊ (आपः अर्थात् जल) शब्द प्राकृत व्याकरण के अनुसार पुल्लिंग है संस्कृत भाषा के अनुसार तो वह स्त्रीलिंग ही है। ___ गौतमस्वामी पुनः प्रश्न करते हैं-हे भगवन् ! 'पृथिवी' यह भाषा क्या अथाना प्रतिपादि भाषा है ? 'धान्यम्' से नधुस लिया विशिष्ट मनु प्रतिपादन કરનારી ભાષા છે? શું આ ભાષા પ્રજ્ઞાપની અર્થાત્ સત્ય ભાષા છે? આ ભાષા મૃષા નથી? શ્રી ભગવાન ઉત્તર આપે છે-હ, ગૌતમ “પૃથ્વી એ સ્ત્રીવાફ અર્થાત સ્ત્રીલિગ विशिष्ट मनु प्रतिपाइन ४२नारी भाषा छ, 'आप.' 21 युवा अर्थात् पुदि विशिष्ट मर्थन प्रतिपादन ४२वी लाषा छे. 'धान्यम्' से नधुसवा छे. अर्थात् नपुसકત્વ વિશિષ્ટ અર્થનું પ્રતિપાદન કરવાવાળી ભાષા છે આ ભાષા પ્રજ્ઞાપની અર્થાત્ સત્ય છે, આ મૃષા ભાષા નથી, કેમકે આ સત્ય અર્થનું પ્રતિપાદન કરે છે ____ महा से ध्यान राम ने 'आऊ' (आप) अर्थात् पाणी v४ प्राकृत વ્યાકરણના અનુસાર પુલિંગ છે, સંસ્કૃત ભાષાના અનુસાર તે સ્ત્રીલિંગ જ છે. શ્રી ગૌતમસ્વામી પુનઃ પ્રશ્ન કરે છે- હે ભગવન્! પૃથ્વી, એ ભાષા શુ સ્ત્રી આજ્ઞા
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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