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________________ २७८ प्रथापनास गौतम ! पृथिवी इति स्त्रीवाक्, आप इति पुंवाक्, धान्यमिति नपुंसकवाक्, प्रज्ञापनी खलु एपा भापा, नैपा भाषा मृपा, अथ भदन्त ! पृथिवीति ज्याज्ञापनी, आप इति पुमाज्ञापनी, धान्यमिति नपुंसकाज्ञापनी प्रज्ञापनी खलु एपा भाषा, नैपा भाषा मृपा ? हन्त, गौतम ! पृथिवीति लिंग है (आउत्ति पुमवऊ) आप पुरुषवचन है (धणित्ति नपुंसगवज) धान्यं यह नपुंसकवचन है (पण्णवणीणं एसा भासा?) यह भाषा प्रज्ञापनी है ? (ण एसा भासा मोसा?) यह भाषा मृषा नहीं है ? (हंता गोयमा ! पुढवित्ति इत्थिवऊ, आउत्ति पुमवऊ, धणित्ति णपुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा) हां, गौतम ! पृथ्वी श्रीवचन है, आप पुरुषवचन है, धान्य नपुंसकवचल है, यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है। (अह संते ! पुढवित्ति इथिआणमणो) हे भगवन् ! 'पृथ्वी) यह स्त्री-आज्ञापनी (आउत्ति पुमआणमणी) 'आपः' यह पुरुष-आज्ञापनी (धणित्ति नपुंसगाणमणी) 'धान्य' यह नपुंसक-आज्ञापनी (पण्गवणी णं एसा भासा) यह भाषा प्रज्ञापनी है ? (ण एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है ? (हंता गोयमा ! हां, गौतम ! (पुढवित्ति इत्थि आणमणी) पृथ्वी यह स्त्री आज्ञापनी (आउत्ति पुम आणमणी) आप यह पुरुष-आज्ञापनी (धण्णित्ति नपुंसगाणमणी) धान्य यह नपुंसक-आज्ञापनी (पण्णवणी णं एसा भासा) यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है। ___ (अह) अथ (भंते !) हे भगवन् ! (पुढवोति इस्थि पण्णवणी) पृथ्वी यह स्त्री प्रज्ञापनी (आउत्ति पुमपण्णवणी) आप: यह पुरुष-प्रज्ञापनी (धण्णेत्ति णपुंसग(आउत्तिपुमवऊ) मा५ ५३५ क्यन (धण्णित्ति नपु सगवऊ) धान्यो नस४ पयन छ (पण्णवणीणं एसा भासा ?) मा माषा प्रज्ञायनी छ ? (ण एसा भासा मोसा ?) २ माषा भूषा नथी ? (हंता गोयमा | पुढवित्ति इस्थिवऊ, आउत्ति पुमऊ, धण्णित्ति णपुंसगवऊ पण्ण वणी णं एसो भासा) । गौतम! पृथ्वीय स्त्रीवयन छे, आप ५३१ वयन छे, धान्य नस४ वयन छे, २! मापा प्रज्ञापनी छे (ण एसा भासा मोसा) मा साषा भृषा नथी (अभंते | पुढवित्ति इत्यि आणमणी) लगवन ! पृथ्वी से भी माज्ञापनी (आउत्ति पुम आणमणी) मा५ श्ये ५३५ माज्ञापनी छे (धण्णित्ति नपु सगाणमणी) धान्य से नपुंस माज्ञापनी (पण्णवणीणं एसा भासा) मा मापा प्रज्ञापनी छे (ण एसा भासा मोसा) मा भाषा भृषा नथी ? (हंता गोयमा ) डा गौतम! (पुढवित्ति इत्थि आणमणि) पृथ्वी से स्त्री माशापनी (आउत्ति पुमआणमणी) मा५: थे ५३५ माज्ञापनी छे (धण्णेत्ति नपुंसगाणमणी) धान्य से नपुंस-मानी (पण्णवणीणं एसा भासा) मा लापा प्रज्ञापनी छे (न एसा भासा मोसा) २. साषा भूषा नथी. (अह) अथ (भंते !) लगवान (पुढवीत्ति इथि पण्णवणी) पृथ्वी से स्त्री प्रज्ञायनी छ (आउत्ति पुम पण्णवणी) भाप: से ५३५ प्रज्ञापनी (धण्णेत्ति णपु सगापण्णवणी) धान्य
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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