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________________ १७५ प्रमेययोधिनी टीका पद १० सू. ६ संस्थाननिरूपणम् पएसाण य दवट्याए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बया बा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलसंठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दवट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं संखेज्जगुणाई, अचरमं चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियाई, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलस्स संठाणस्स संखिज्जपएसियस्त संखेज्जपएसोगाढस्स चरमंतपएसा, अचरमंतपएसा संखेजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया, दव्वटुपएसट्रयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्ल संठाणस्स संखेज्जपएसियस्स संखेजपएलोगाढस्स एगे अचरिमे, चरिमाइं संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाइं, चरपंतपएसा संखेज्जगुणा, अचरिमंत. पएसा संखेज्जगुणा, चरिसंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, एवं वहृतंस चउरंसायएसु वि जोएयव्वं । परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेजपएसियस्त संखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दवटुपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा, विसे. साहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्स संखजपएसोगाढस्स दवटयाए एगे अचरसे, चरमाइं संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेलाहियाई, पएसट्रयाए सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणस्स असंखेजपएसियस्त संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संखिजगुणा, चरसंतपएसा य अचरमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, दबटुपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्त संखेज्जपएसोगाढस्स दवट्टयाए एगे अचरिमे, चरभाइं संखेज्जगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दो विविसेसाहियाई, चरमंतपएसा संखेजगुणा, अचरमंतपएसा संखेज्जगुणा, चरमंतपएसा य अचरसंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, एवं जाव आयए।
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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