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________________ प्रमेयधोतिका टीका प्र.९ १.१३९ दशविध सं० स० जीवनिरूपणम् १३११ सेण दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमन्भहियाई, सेसाणं सव्वेसि पढमसमयिकाणं अंतरं जहन्नेणं दो खुड्डाइं भवग्गहणाई समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो अपढमसमयिकाणं सेसाणं जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उकोसेणं वणस्सइकालो । पढमसमइयाणं सव्वेसि सव्वत्थोवा पढमसमय पंजिदिया पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया पढमसमय तेइं. दिया विसेसाहिया पढमसमयबेइंदिया विसेसाहिया पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया। एवं अपढमसमयिका वि नवरं अपढमसमयएंगिदिया अणंतगुणा। दोण्हं अप्पबहु सव्व स्थोवां पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसयिया अपढमसमइया असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते ! पढमसमयएगिदियाणं अपढमसमयएगिदियाण जाव अपढ़मसमयपंचिंदियाण य कयरें कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोंवा पढमसमयपंचिंदिया पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया पंढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया एवं हेटामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया अपढमसमयपंचिंदिया असंखैज्जगुणा अपढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया जाव अपढमसमयएगि. दिया अणंतगुणा। सेत्तं दसविहा संसारसमावण्णगा जीवा पन्नत्ता । से तं संसारसमावण्णगजीवाभिगमे ॥सू०१३९॥ छाया-तत्र खलु ये ते एवमुक्तवन्तो दशविधाः संसारसमापनका जीवा स्त एवमुक्तवन्तः तद्यथा प्रथमसमयैकेन्द्रियाः अप्रथमसमयैकेन्द्रियाः प्रथमसमय दीन्द्रियां: यावत्प्रथमसमयपश्चेन्द्रियाः - अप्रथमसमयपश्चेन्द्रियाः । प्रथमसमयैकेन्द्रियस्य खल भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञता ? गौतम ! जघन्येनके समयमं-उत्कर्षेणैकं समयम् । अप्रथमसमयैकेन्द्रियस्य जयन्येन क्षुल्लकं भवग्रहणं समयोनम्-उत्कर्षेण द्वाविंशतिर्बर्षसहस्राणि समयोनानि, एवं सर्वेषां प्रथमसमयिकानां जघन्येनैक समयम् उत्कर्षेणैकं समयम् अप्रयमसमयिकानां जघन्येन. क्षुल्लक
SR No.009337
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size117 MB
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