SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 562
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ DIRED ५४० जीवाभिगमसूत्र णाउसो! जहा से पागारट्टालगचरिय दारगोपुर पासाया कासतलमंडव एगसाल विसालगतिसालगचउरंस चउसालगन्भघरमोहणघर वलभिघर चित्तसालमालयभत्तिघर वहृतंस घउरंस गंदियावत्त संठियायत पंडुरतल मुंडमालहम्मियं अहवणं धवलहरअद्धमागह विब्भमसेलद्धसेलसंठिय कूडागारट्ट सुविहिकोटुग अणेगघर सरणलेण आवण विडंगजालचंदणिज्जूह अपवरक दो वारिय चंदसालियरूव विभत्तिकलिया भवणविहि बहुविगप्पा तहेव ते गेहागारा वि दुमगणा अणेग बहुविविह वीससा परिणयाए सुहारुहण सुहोताराए सुहनिक्खमणप्पवेसाए ददरसो. पाणपंति कलियाए पइरिकाए सुहविहाराए मणोऽणुकूलाए भवणविहीए उववेया, कुसविकुसविसुद्ध जाव चिटुंति९ । एगोरुयदीवे तत्थर बहवे अणिगणा णामं दुमगणा पणत्ता समणाउसो! जहा से अणेगसो आजिणन खोम कंवल दुगुल्लकोसेज्जकालमिग पट्टचीणंसुय वरणातवार वणिगय तुआ भरणचित्तसहिणगकल्लाणगभिंगिणीलकज्जल बहुवण्णरत्तपीयसुक्किलमक्खयमिगलभिहमप्फ रुण्णग अवसरत्तगसिंधु ओसभदानिलवंगकलिंग नेलिणतंतु मय भत्तिचित्ता वत्थविहि बहुप्पकारा हवेज्जवरपट्टणुग्गया वण्णरागकलिया तहेव ते अणियणा वि दुमगणा अणेग बहुविविह वीससा परिणयाए वत्थ विहीए उववेया कुसविकुसविसुद्ध जाव चिटुंति१० ॥सू० ३६॥ छाया-एकोरुकद्वीपे तत्र तत्र वहश्चित्राङ्गानाम द्रुमगणाः प्रज्ञप्ताः श्रमणा युष्मन् ! यथा तत् प्रेक्षागृहं विचित्रं रम्यं वरकुसुमदाम-मालोज्यलं भासमानमुक्त पुष्पपुञोपचारकलितम्, विरल्लितविचित्र माल्य श्रीदाममाल्य श्रीसमुदाय प्रगल्भं ग्रन्थिम वेष्टिम पूरिम संघातिमेन माल्येन छेक शिल्पि विभागरवितेन सर्वत एव समन्वद्धम् मविरलम्बमान विभकृष्टैः पञ्चवर्णैः कुसुमदाममि शोभ
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy