SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 561
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३९ प्रमेययोतिका टीका प्र. ३ उ. ३ . ३६ पकोरुकद्वीपस्थितद्रुमगणवर्णनन् दीवे तत्थर बहवे चित्तरसा णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो ! जहा से सुगंधबरकलमसालि विसिट्ट निरूवहयदुद्धरद्धे सारयघयगुड खंडम हुमेलिए अइरसे परमण्णे होज उत्तम वण्णगंधमंते रण्णो जहा वा चक्कवट्टिस्स होज णिउणेहिं सूयपुरिसेहि सज्जिएहिं वाउक पलेय सित्ते इव ओदणे कलमसालिणिव्वत्तिए विपके Hoatia विसयसगल सित्थे अणेगसालणगसंजुत्ते अहवा पडिपुण्ण दव्वक्खडेसु सक्कए वण्णगंधरसफरिसजुत्त बलवीर परिणामे इंदिय बलपुविद्धणे खुप्पिवासमहणे पहाण कुहियगुलखंड मच्छंडी घयउवणीए पमोयगे सहसमियगन्भे हवेज परमइहूंगसंजुते तहेव ते चित्तरसा वि दुमगणा अगबहुविविध वीससा परिणयाए भोयणविहीए उववेया, कुसविस विसुद्ध जाव चिट्ठति७ । एगोरुय दीवेणं तत्थ तत्थ बहवे मणिगंगा नाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो ! जहा से हारद्धहार वट्टणम मउडकुंडलवामुत्सग हेमजाल मणिजाल कणगजालग सुत्तगउच्चिइकडगा खुड्डिय एमावलि कंठसुत्तपगरिय उरक्खंध गेवेज सोणिसुत्रागचूलामणिकणग तिलगफुलसिद्धस्थय कण्णवालि ससिसूर उसभचकगतल मंगतुडिय हत्थमालगवलक्खदीणारमालिया चंदसूरमालिया हरिसय केयूरवलय पालंब अंगुलेजग कंची मेहलाकलाव पयरगपाडिहारिय पाउजलघंटिय खििखखिणि रयणोरुजालत्थिमियवरणेउरचलणमालिया कणगणिगरमालिया कंचणमणिरयणभत्तिचित्ता भूसगविहि बहुप्पगारा तव ते मणिगंगा विदुमगणा अणेगबहुविविह वीससा परिणयाए भूमणविहीए उक्वेया, कुपत्रिकुस विसुद्ध जाव चिट्ठति ८ । गोरु दीवे तत्थर बहवे गेहागारा नाम दुमग़णा पण्णत्ता सम
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy