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________________ प्रमेयद्योतिका ठीका प्र.३ ३.२ सू.१३ नरकावाससंस्थाननिरूपणम् १७७ 'किमपुडगसंठिया' कीर्णपुटकसंस्थिताः 'उडय संठिया' उटजसंस्थिता:, उटजस्तापसाश्रमस्तद्वत् संस्थिताः९ । 'मुरयसंठिया' मुरजसंस्थिताः, मुरजो वायविशेषः तद्वत् संस्थिता इखि सुरजसंस्थिताः १० 'सुयंगठिया' मृदङ्गसंस्थिताः । मृदङ्गोऽपि वाचविशेष एव तद्वत् संस्थिताः ११ । 'नंदीमुयंग संठिया' नन्दीमृदङ्गसंस्थिताः १२ 'आलियरसंठिया' आलिंजरसंस्थिताः आलिंजरो मृषयो मुरजस्तद्वत संस्थिता इति आलिजरसस्थिताः १३ 'सुघोससंठिया' सुघोषसंस्थिताः सुधोषो देवलोकप्रसिद्धो घण्टा विशेष आबोधबिशेषो वा तद्वत् संस्थिताः १४ 'ददरयसंठिया दर्दरकसंस्थिताः दो नाधविशेष स्तवन संस्थिताः १५ 'पणवसंठिया' पण वाचविशेषो लोकप्रसिद्ध स्तद्वद् संस्थिता इति पणवसंस्थिताः १६ 'पडह संठिया' पटह संस्थिताः पटहो बाघविशेषो लोकपसिद्ध है कितनेक-' शिन्न पुडा सं कीर्ण फुटक के जैसे आकार वाले हैं कितनेक 'उडथ संठिया बडज झोपड़ी सापखाम-के जैसे आकार वाले हैं । फितनेक 'शुरवलंठिया' सुरज-वाद्यविशेष-से जैले आकार वाले हैं कितनेश 'मुयंगठिया वृदङ्ग-वाद्यविशेष - के जैसे आकार वाले हैं। क्षितनेक-'नंदीऽयंगठिया' नन्दी मृदंग के समान स्थित हैं। कितनेक 'आलिंजर संठिया आलिंजर-मिट्टी के बने हुए मृदंग के समान आकार वाले है अर्थात् कोठो के जले कितनेक 'सुघोलसंठिया' सुघोष-देवलोक प्रसिद्ध सुघोष घंटा के जैसे आकार वाले है कितनेक 'ददरय संठिया' दरनाम के वाद्यविशेष के जैसे आकार वाले हैं। 'पणव संठिया' कितनेक पण नामक वाद्यविशेष के जैसे आकार वाले है छोटा नगारा कितनेक 'पटह संठिया' पटह (ढोल) नाम के वाद्यविशेष भावेद नथ. सार 'किन्नपुडगसठिया' ही घटना २१ मा२ पाणाहाय छ मा 'उडयसठिया' 620-जु५-तापसाश्रमना ! मा.२. पाहाय छे. रखा 'मुरयसठिया' भृग-पाचविशेषना २१ मार पापा डाय छे. ४८८18 'नदीमुयंगसठिया' नदी भृगना २१मारवाणा छे. मन 'आलिंजरसठिया' मालि२-भाटिना मनावेत माना આકાર જેવા આકારવાળા છે. એટલે કે કેઠીના આકાર જેવા છે मर ४८ 'सुघोसमठिया' मा सुघोष विभा प्रसिद्ध सुधाष नामना टन 241 मा.२१ छ. ४८मा 'पहरयसठिया' ४६°२नामना पाचविशेषना 24 मा२वार 2. 'पणवसठिया' als पायुक् नामना वाचविशेष रे मारवा डाय छे. 2013 'पटह सठिया' पट-टास नामना वाचविशेषना २१ मा१२ हाय छे. टमा 'भेरीसठिया' मेशनामना पाविशेषनामे मार पाणा जी० २३
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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