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________________ गोयूषषिणो-टोका स १५ अम्बडपरिग्राजकशिष्याणा सस्तारमणम् ५७ सथरित्ता वाल्यासंथारयं दुरूहिति, दुरूहित्ता पुरस्थाभिमुहा संपलियंकनिसण्णा करयल जाव कहु एवं वयासी ॥ सू० २५ ॥ मूलम्-नमोत्थुणंअरहंताणं जाव सपत्ताणं, नमोत्थुण अवतीर्य 'बालुयासथारए' बारकान्तारकान 'सबरति । “स्तृणन्ति, 'सथरित्ता' सस्तीर्य ‘पाल्यासथारय' वाटका- तारक 'दुरूहिति' दृरोहन्ति आरोहन्ति, 'दुरूहित्ता' दूम्य आन्य 'पुरथिमाभिमुहा' पोग्ल्याभिमुन्या पूर्वदिड्मुसा , "सपलियफनिसण्णा' स-पर्य निपण्या --मपर्य -पद्मासन तेन निषण्णा -पद्मासनेनोपरिष्टा , 'करयल नार रह एव क्यासी' करतल यावर वामस्नकेऽञ्जलिं भृत्वा एवमवदन् । सू० २० ॥ टीका-'नमोत्यु ण इयाति। नमोत्युण अरहताण जाव सपत्ताण नमोऽस्वर्हझ्यो यावत् सम्प्राप्तेभ्य , यापच्छन्दात्-आदिकरेभ्य , तीर्थकरेघ स्वय स्वुद्धेभ्य -दत्याहानि विशेषगानि पूर्वार्धगतविंशतिमायमूत्राद वो यानि । सिद्गनिनामधेय स्थान सम्प्राप्तभ्य । हित्ता वालुआसंथारए सथरति ) उस पार कर उन लोगोंन बालुकाका मयारा विगया, (सथरित्ता वालुयासधारय दुरूहिति) निराकर उसपर वे फिर चढ गये, (दुरुहिता) चढ़कर (पुरत्याभिमुहा सपलियफनिसण्णा करयल जार कट्ट एर क्यासी) पूर्व दिगा को ओर मुंह कर पर्यहासन से बैठ गये और दोनों हाथों को जोडकर मस्तक पर लगा इस प्रकार कहने लगे । सू० २५ ॥ 'मोत्थु णं अरिहंताणं जाव सप्ताणं' इत्यादि । (णमोत्यु णं अरिहताण जाव सपत्ताण)यारत् मुक्ति प्राप्त हुए श्री अर्हतप्रभु को नमस्कार हो। (समणम्स भगवओ महावीरस्स जाव सपाविउकामस्स नमोत्थु णं) यथाय ते महानदी भाभा प्रविधि थया (ओगाहित्ता वालुआसथारए सथरति) तेने पा२ ४शन तमा भादु (श्ती) 11 Aथा। पिछया (सथरित्ता घालुयासथारय दुखहिति) छापीने सेना ५२ तमाम (दुरूहित्ता) सीने (पुरत्याभिमुहा सपलियानिसण्णा करयल जाव कह एव पयासी) पूर्व दिशानी त२५ મેઢા રાખી પર્ય આસનથી બેસી ગયા અને બને હાથ જોડીને મસ્તક ઉપર રાખીને આ પ્રકારે કહેવા લાગ્યા (સૂ ર૫) 'मोत्थु ण अरिहताण जाय संपत्ताण' त्याहि (णमोत्थु ण अरिहताण जाध सपत्ताण) भुटितने प्रात ये1 श्री मत प्रभुने नभ२२ । (समणरस भगरओ महापौरस्स जान सपाविउकामरस नमो.
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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