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________________ ५०५ पोयूपवपिणी-टीका सू ५ भोगनीय धर्मपन्धयिषये प्रश्न मृलम्-जीवे णं भंते । मोहणिज कर मं वेदेमाणे कि मोहणिज्ज कम्म बंधड , वेयणिज्नं कम्म बंधड ' गोयमा मोहणिजं पि कम्मं बंधड, वेयणिन्न पि कम्मं वधड, णण्णत्थ चरिम टीका-'जीवे भते " इयादि । 'जीवेण मते !' जीन खलु भदन्त । 'मोडणिज सम्म वेदेमाणे' मोहनाय कर्म वेदयन् अनुभपन 'कि मोहणिज्न कम्म बचट' किं मोहनाय कर्म यानाति , अथवा-'वयणिन कम्मं व घड" वेदनीय कम गन्नाति किम् । इनि प्रश्न स युत्तरमाह-'गोयमा! मोहगिन पि कम्म पपइ यणिन पि रम्म घट' गौतम ! मोहनीयमपि कर्म थप्नाति वेदनीयमपि म बन्नाति, ‘णपणत्य चरिममोहणिज्न कम्म वेदेमाणे केवल चरममोहनाय कर्म वेदयन् , 'णण्णस्थ' इति नवर-केवलमित्यर्थ , सदमसम्परायदशमगुणस्थानके लोभमोहनीयमुक्ष्मकि 'जीवे ण भते' इत्यादि। (भते) हे मदत ' (मोहणिन कम्म) मोहनीय कर्म का (वेटेमाणे) अनुभव करने वाला (जीव ण) जीन (किं) क्या (मोहणिज कम्म) मोहनीय कर्म का (बंधइ) वर करता है (वेयणिजं कम्म वधइ) अथवा वेदनीय कर्म का वध करता है ? इन दो प्रश्नों का उत्तर प्रभु इस प्रकार देते है-(गोयमा) हे गौतम । (मोहणिज पि कम्म बधइ वेयणिज्ज पि कम्म वधइ) मोहनीय कर्म का अनुभव करनेवाला जीव मोहनीय कर्म का भी बध करता है और वेदनाय कर्म का भी बध करता है, (गण्णत्व चरिममोहणिज्ज कम्म वेदेमाणे वयणिज्ज कम्म बंधड) केवल सूक्ष्मसपराय नामके १० वे गुणस्थान म चरम-मोहनीय-सूक्ष्मलोभ-को वेदन करने वाला जीव वेदनीय कर्म का बध करता है, क्यों कि अयोगी 'जीवे ण भते' त्यादि (भते) लत ! (मोहणिज्ज कम्म) मानीय भनी (वेदेमाणे) मनुस ४२वावाजा (जीवे) 04 (किं) शु (मोहणिज्ज कम्म) मोडनीय नि। (वधई) सय ४२१ (वेयणिज्ज कम्म वधइ) मथा वहनीय ४भना १५४२ छ? मामे प्रश्नोना उत्तर प्रभु मा अजारे सापेछ-(गोयमा) गौतम । (मोहणिज्ज पि कम्म बधइ वेयणिज्ज पि कम्म वधइ) भाडनीय उभनी मनुमप ४२ना२। જીવ મેહનીય કમને પણ બધ કરે છે અને વેદનીય કર્મને પણ બ ધ કરે छे (णण्णत्थ चरिममोहणिज्ज कम्म वेदेमाणे वेयणिज क्म्म बधड) उस सूक्ष्म સપરાય નામના ૧૦ દશમાં ગુણસ્થાનમાં ચરમ મેહનીય-સૂક્ષ્માભનુ વેદન
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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