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________________ ६२ उगममत्रस्त्वेग वाचार्यप्रणीता नाहगाया- माने पावे य वाणारमीए नमीण। मग पुरिवरी कपिलपुर व बोदल ॥ १ ॥ गजगिह मारल्याप पुरीए टोषि भवे। पामा नारा बलु ति बोद्धच्या ॥ २ ॥ मिपर भामामा घायहर-पृस-अग्गिमिसा य । रेया अस्लिनि मह फागु य मन्त्राण नामाइ || - मान बारापस्या गम् । - मका हामित्यपुर च बोद्धव्यम् ॥ १॥ mer माता द्वाभिवताम् । ए गि सल भान्ति बोदव्यानि ॥०॥ उतशा सूत्रके पूर्वाचार्यप्रणीत महगाथाओंका भाषान्तर सा सापकों के नाम नगर, भार्या, उपसर्ग, गरतार, मलनिति परिमाण, अभिग्रहसख्या, अवधिज्ञान को सदा पनि और आगामी भवौंका विवरण इसप्रकार है। सार पसभापक आनद २ दसरां कामदेव ३ तीसरा वृलिनी पिता पौभा सरादेप ५ पांचवा चुल्लशतक ६ छठा कुडकौलिक ५ गातो सपापुस ८ आठवां महाशतक ९ नौवा नन्दिनी पिता रामा शालिनी पिता। गरी के गाम- आनद का नगर वाणियगाव २ कामदेव रामरी पुलिनी पिता की नाराणसीनगरी ४ सुरादेव की मीरी । यो में श्रेष्ठ आलभिकानगरी पोलासपुर ८ महाशतकका • नगरी और १० शालिनी
SR No.009331
Book TitleUpasakdashangasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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