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________________ माताutsures मूलम्-तरण से पहूराया तेसिं वासुदेवपामोखाण वहूणं राय० करयल एव वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया । हत्थिनाउरे नयरे पंचन्ह पंडवाणं दोवइए य देवीए कलाण करे भविस्सइ तं तुभे णं देवाणुप्पिया । मम अणुगिरहमाणा अकालपरिहीण समोसरह, तएण वासुदेवपामोसा पतेय२ जाव पहारेत्थ गमणाए । तएणं से पंडुराया कोइवियपुरिसे सदा० २ एव व्यासी - गच्छहणं तुभे देवालिया । हत्थिनाउरे पचण्ह पडवाणं पच पासायवडिसए कारेह अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ जाव पडिरुवे, तएण ते कोडुवियपुरिसा पडिसुणेति जाव करावेंति, तएण से पंडुए पचहि पडवेोह दोवईए देवीए सद्धिं हयगयसपरिवुडे कपिलपुराओ पडिनिक्खमइ२ जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए, तएणं से पडुराया तेसि वासुदेवपामोक्खाणं आगमण जाणित्ता कोडुंवि० सदावेइ सद्दावित्ता एव वयासी- गच्छहण तुन्भे देवाप्पिया । हस्थिणाउरस्स नयरस्स वहिया वासुदेवपामुक्खाणं चहूण रायसहस्साण आवासे कारेह अणेगखभसय तहेव जाव पच्चप्पियति, तएणं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागच्छइ, तणं से पराया तेसि वासुदेवपामोक्खाण आगमण जाणित्ता हट्ठतुट्टे हाए कयवलि० जहा दुवए जाव जहारिह आवासे जेणेव दलयइ, तण ते वासुदेव पा० बहवे ४४० ܢ I -
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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