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________________ २५९ भनगारधर्मामृतषिणी टी० अ० १६ द्रौपदीचरितवर्णनम् सहि दुदंतसाहस्सीओ वीरसेणपामोक्खाओ इक्वीसं वीरपुरिससाहस्सीओ महसेणपामोक्खाओ छप्पन्नं वलवगसाहस्सीओ अन्ने य वहवे राईसरतलवरमाडंवियकोडुवियडन्भसिट्टिसेणावइसत्थवाहपभिइओ करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त अंजलि मत्थए कटु जएण विजएण वद्धावेहि वद्धावित्ता एव वयाहि-एव खलु देवाणुप्पिया | कपिल्लपुरे नयरे दुवयस्स रणो धूयाए चुल्लणीए देवीए अत्तयाए धट्टज्जुणकुमारस्स भगिणीए दोवईए रायवरकण्णाए सयवरे भविस्सड त ण तुम्भे देवाणुप्पिया । दुवयं राच अणुगिण्हेमाणा अकालपरिहीणं चेव कपिल्लपुरे नयरे समोसरह, तएण से दूए करयल जाव कडु दुवयस्स रणो एयमट्ट पडिसुणेति पडिसुणित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कोडुवियपुरिसे सदावेइ सदावित्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया। चाउग्धंट आसरह जुत्तामेव उवट्टवेह जाव उवटवेति, उवट्ठवित्ता तएण से दूए पहाए जाव अलकार० सरीरे चाउग्घंट आसरह दुरुहइ दुरुहित्ता बहूहि पुरिसेहि सन्नद्ध जाव गहियाऽऽउह पहरणेहि सदि सपरिवुडे कपिल्लपुर नयरं मज्झ मज्झेणं निग्गच्छद पचालजणवयस्स मज्झ मज्झेण जेणेव देसप्पते तेणेव उवागच्छइ, सुरद्वाजणवयस्स मज्झमज्झेणंजेणेव वारवइ नयरी तेणेव • उवागच्छइ उवागच्छित्ता वारवइ नयरिं मज्झ मज्झेण अणुप. विसइ अणुपविसित्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स वाहिरिया
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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