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________________ पगइभदा जाब विणीप माम मालेण अणिमियत्तेणं तयो. फम्मेणं जाव नागसिरी माहणीए गिह अणपबिहे, तरणे सो नागसिरी माहणी जार नितीग्ड, नरण से धम्मई अणगारे अहापजत्तमितिफट जार काल अणकरमाणे वि. हरति, से ण धम्म अणगारे यहणि साणि सामन्नप. रियाग पाउणित्ता आलोइयपडित समाहिपत्ते कालमासे काल फित्रा उसामजाव सनसिह महातिमाणे देव. ताए उनबन्ने, तत्य | अजाणमणुकांसेण तेतील सागरोवमाइ टिई पन्नता, तस्य धम्मरुटसति देवस्स तेत्तीसं सागरोक्साइ ठिई पपणत्ता से ण धम्मदं देव ताओ देवलोगाओ नाव गहाविदेह बासे सिज्झिहिइ त वित्थुणं अज्जो । जागसिरीए माहणीए अधनाए अपुनाए जान णि चोलियाए जाए ण तहारूवे साह धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणामि सालइएण जान गाढेण अकाले चेव जीवियाओ ववरोविए ।। सू० ४ ॥ टोश- तरण ते' इत्यादि । ततः खलु-इतश्च ते धर्मघोपा स्थविरा धर्मरचिमन्गार चिर गत बहालनो गत ज्ञात्वा अमणान निग्रन्थान् श दयति, तएण ते गम्ममोसा येरा इत्यादि ॥ टीकार्य-(तएण) इसके बाद (ते धम्नयोसा थेरा) उन-धर्मघोप स्थविरने( बम्मन अणार ) धर्मरुचि अनगार को (चिराय जाणित्ता) बहुत देर के गये जानवर (ममणे निग्गथे सहावेंति, सहावित्ता एव तपण ते धम्मघोमा थेरा इत्यादि साथ-(तपण) त्या२मा ( धम्मोसा धेरो) ते ५५ स्यविरे (धम्म रुइ अणगार ) भनि सन-2 (चिर गय जाणित्ता) तथा बहार ગયેલા જાણીને ।
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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