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________________ - - माताधर्मकथा कृष्णवासुदेवस्य 'भवणरपडिदुवारदेसमाए' भरनवरमतिद्वारदेशभागः भवन वरस्य मधानमासादस्य मतिद्वारं वृहद् द्वारा तरालवतिलघुद्वार तस्य देशमा गोऽस्ति, तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य सा प्रतीहारदेशितेन द्वारपालपदर्शितेन मार्गेण यनैव कृष्णवासुदेवस्तौवोपागच्छति, उपागत्य सा करतलपरिगृहीतदशनखा मस्तके अञ्जलिं कला जयेन विजयेन च वर्धापति, वर्धापयित्वा तन्महार्थ 'महाचं महाहै राजाई मामृतम् उपनयति-कृष्णनासुदेवस्याभिमुख स्थापयति, उपनीय = उपहार कृष्णवासुदेवस्याग्रे निधाय, एव पक्ष्यमाणमकारेण अवादीत् = उक्तवती ।। सू० १०॥ से युक्त होकर जहा कृष्ण वासुदेव के (भवणवरपडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छइ ) प्रधान प्रासाद का बडे दरवाजे अन्दर लघुदार का देश भाग था वहा गई (उवागच्छित्ता पडिहारदेसिएण मग्गेण जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छद ) वहा जाकर दारपाळ द्वारा प्रदर्शित मार्ग से होकर वह जहा कृष्ण वासुदेव थे वहा गई ( उवागच्छित्ता करयल० वद्धावेइ ) वहा जाकर उसने दोनों हाथो को अजलि रूप में जोड़कर और उस मस्तक पर रख कर जय विजय शब्दो का उच्चारण करते हुए उन्हें वधाई दी (वद्धावित्ता त महत्थ महग्ध महरिह रायरिह पाहुड़ उवणेइ ) वधाई देकर उसने फिर महार्थसाधक महाध महतो योग्य एव राजाओं के लायक उस भेट को राजाके समक्ष रख दिया । (उर्वणित्ता एव क्यासी) रख कर फिर उनसे ऐसा कहा-सूत्र"१०" ge पावन (भवणवरपडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छइ) जय! प्रधान મહેલ ના મુખ્ય દરવાજાની અંદરના લઘુદ્વારને દેશ ભાગ હતું ત્યાં ગઈ (उयागच्छित्ता, पडिहारदेखिएण मग्गेण जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ) ત્યાં જઈને તે દ્વારપાલવડે બતાવવામાં આવેલા મર્ગથી જ્યા કૃષ્ણ વાસુદેવ तात्या 15 (मागच्छित्ता करयल० वद्धावेइ) त्याने तेथे पोवाना હાથને અજલીના આકારે બનાવીને તેમને જય વિજય શબ્દ બેલતા કૃષ્ણ चासुदेवन वधाच्या (पद्धावित्ता त महत्थ महग्य महरिह रायरिह पाहूड उवणे.) વધાવ્યા પછી સ્થાપત્યાએ મહાઈસાધક મહાઈ–મેટા માણસને એગ્ય भने याने सायs an तेमनी सा भू (उवणित्ता एव वयासी) - મૂકીને તેણે તેમને કહ્યું છે સૂ-૧૦
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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