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________________ ६२६ ज्ञात धर्मकथासूत्रे साओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं वेति सा साकलुसा ॥३॥ होल - वसुल - गोल - णाह - दइत - रमण - कंत-सामिय-- णिग्विण णिच्छक्क | थिष्ण णिक्वित्र अकयण्णुय सिटिल भाव निलज लुक्ख अक्लुण जिणरक्खिय मज्झं हिययरक्खगा ॥ ४ ॥ हु जुज्जसि एक्कियं अणाहं अवधव तुज्झचलणओवाय कारिय उज्झिउ महणं । गुणसंकर | अहं तुमं विहूणा ण समत्थावि जीविउ खपि ॥ ५ ॥ इमस्त उ अणेगझसमगरविविह सावयसयाउलधरस्स । रयणागरस्स मज्झे अप्पाणं वहेमि तुज्झ पुरओ एहि णियत्ताहि जइसिकुविओ खमाहि एक्कावराहं मे ॥ ६ ॥ तुज्झ य विगयघणविमलस सिमडलागार सस्सिरीयं सारयनवकमलकुमुय कुवलयविमलद्लनिकर सरिसनिभनयणं वयणं पिवासागयाए सद्धा में पेच्छिउ जे अवलोएहि ताइओ मम णाह जो ते पच्छामि वयणकमलं ॥ ७ ॥ एव सध्पणय सरलमहुराइ पुणो२ कलुणाइ वयणाइ जपमाणी सा पावा मग्गओ समपणेइ पावहियया ॥ ८ ॥ तपणं से जिणरक्खिए 'चलमाणे तेणेव भूसणरवेण कण्णसुहमणोहरेणं तेहि य सत्पणय सरल महुरभणिएहि सजायविणराए रयणदीवस्स देवयाए 'तीसे $ सुदरथणजहणवयणकरचरणनयणलावन्नरूवगोठवण सिरि च दिव्व सरभसउवगूहियाइ विव्वोयविलसियाणि य विहसिय सकडवखदिट्ठनिस्ससियमलियउवललियठियगमणपणयखिज्जियपासाइयाणि य सरमाणे रागमोहियमई अवसे
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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