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________________ ५०३ मनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका २० ८ मलीभगवद्दीक्षावसरनिरूपणम् आसिय च सय सहस्साइं अयमेयारूवं अत्थसपयाणं साहरेइ, साहरिता मम एयमाणत्तिय पच्चष्पिणेह, तएण ते जंभगा देवा वेसणेण एव वृत्ता समाणा हट्टतुट्टा जाव पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिम दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कभित्ता जाव उत्तरवेउन्वियाई रुवाइ विउव्वति, विउन्त्रिता ता उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जबूढवे दोवे जेणेव भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेत्र कुभगस्स रण्णो भवणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुभगस्स रन्नो भवसि तिन्नि कोडिसिया जाव साहरंति, साहरिता जेणेव वेमणे देवे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल जाव पञ्चपिणंति, तण से वेसमणे देवे जेणेत्र सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चपिणइ, तणं मल्ली अरहा कल्ला कल्लि जाव मागअहो पायरा सो ति बहूणं सणाहाण य अणाहाण य पथियाण य पहियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडि अट्ठ य अणूणाइ सय सहस्साइ इमेयारूव अत्यसपदाण दलयइ, तरणं से कुभए मिहिलाए रायहाणीए तत्थर तहिर देसे२ बहूओ महाणस सालाओ करेइ, तत्थ णं वहवे मणुयादिपगभइभत्तवे यणा विपुल असणं पाणं खाइम साइम उवक्खडेति, उवक्खडिता जे जहा आगच्छति त जहा पथिया वा पहिया वा क्रोडिया वा कप्पाडिया वा पासडत्था वा गिहित्था वा तेसि य तहा
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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