SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 697
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भनगारधर्मामृतपिणी टीका म० ८ मल्लीभगवाहीक्षापसरनिरूपणम् ५०५ आसिय च सयसहस्साइं अयमेयारूवं अस्थसपयाणं साहरेइ, साहरित्ता मम एयमाणत्तिय पच्चप्पिणेह, तएण ते जंभगा देवा वेसमणेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव पडिसुणीत, पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमति, अवकमित्ता जाव उत्तरवेउब्बियाई रुवाई विउव्वति, विउवित्ता ताए उछिट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जबूडीवे दोवे जेणेव भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुभगस्स रपणो भवणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुभगस्त रन्नो भवणसि तिन्नि कोडिसिया जाव साहति, साहरित्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल जाव पञ्चप्पिणंति, तएण से वेसमणे देवे जेणेव सके देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणइ, तएणं मल्ली अरहा क्ल्लाकल्लि जाव मागअहो पायरा सो त्ति वहूर्ण सणाहाण य अणाहाण य पथियाण य पहियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडि अट्ठ य अणूणाइ सयसहस्साई इमेयास्व अस्थसपदाण दलयइ, तएणं से कुभए मिहिलाए रायहाणीए तत्थर तहि२ देसे २ वहओ महाणससालाओ क्रेइ, तत्थ णं बहवे मणुया दिगभइभत्तवे यणा विपुल असणं पाणं खाइमसाइम उवक्खडति, उबक्खडित्ता जे जहा आगच्छति त जहा-पथिया वा पहिया वा क्रोडिया वा कप्पडिया वा पासडत्था वा गिदिन्था वा तेसिं य तहा
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy