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________________ ३२१ अनगारधर्मामृतवपिणो टी० अ० ८ अङ्गराजचरितनिरूपणम् मूलम्--तेणं कालेण तेण समएणं अगनाम जणवए होत्था, तत्थण चपा नामं णयरी होत्था, तत्थण चंपाए नयरीए चदच्छाए अगराया होत्था, तस्थ णं चम्पाए नयरीए अर. हन्नगपामोक्खा वहवे सजत्ता णावावाणियगा परिवसति अड्डा जाव अपरिभूया, तएण से अरहन्नगे समणोवासए याविहोत्था अहिगयजीवाजीवे वन्नओ, तएण तेसिं अरहन्नगपामोक्खाण सजुत्ता णावावाणियगाणं अन्नया कयाइ एगयओ सहिआणं इमे एयारूवे मिहो कहासलावे समुप्पजित्था-से य खलु अम्ह गणिम धरिम च मेज च भडग गहाय लवणसमुद्दपोतवहणेण ओगाहित्तए त्ति कटु अन्नमन्न एयम पडिसुति, पडिसुणित्ता गणिम च ४ गेण्हंति । गेण्हित्ता सगडसागडियं भरेति,भरित्ता सोहणंसि तिहिकरणदिवसनक्खत्तमुहुर्तास विपुल असण०४उवक्खडावेंति मित्तणाइ० भोअणवेलाए भुजावेंति जाव आपुच्छंति, आपुच्छित्ता सगडिसागडिय जोयति, जोइत्ता चपाए नगरीए मज्झ मज्झेणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छा, उवागच्छित्ता सगडिसागडिय मोयति, मोइत्तापोयवहणं सजेति, सजित्ता गणिमस्स य जाव चउठिवहस्स भडगस्स भरेंति, तदलाण य समियस्स य तेल्लयस्स य गुलस्स य घयस्स य गोरसस्स य उदयरस उदयमायणाण य ओसहाण य भेसज्जाण य तणस्त य कहस्स य आवरणाण य पहरणाण य अन्नसिं च वहण पोयवहणपाउग्गाणं दवाण पोयवहणंभरेति । सोहणसि का ४१
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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