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________________ ૮૪ छाताधर्मकथासूत्रे डोहला जाव विहरह, तरणं सा पभावई देवी नवण्ह मासार्ण बहुपडिपुपणाणं अद्धट्टमाण यरत्तिदियाण जे से हेमंताणं पढम मासे दोच्चे पक्खे मग्गसिरसुद्धे तस्सण एक्कारसीए पुव्त्ररत्तावरत्त० अस्सिणी नक्खत्तेण जोगमुबागएण उच्चट्टानट्टिएसु गहेसु पमुइयपक्काीलिए जणवएम आरोग्गारोग्गं एकूणवीसइम तित्थयर पयाया ॥ सू० ११ ॥ टीका- ' तपण तीसे ' इत्यादि - ततस्तदनन्तर खलु तस्या प्रभावत्या देव्या त्रिपु मासेषु बहुमतिपूर्णेषु = अशेषत: सम्पूर्णेषु सत्सु अयमेततूप' दोहदः गर्भसद्भाव निताभिलापः प्रादुर्भूत. धन्याः सलुता अम्मा' = पुनमातरः या बलु जलथलयभासुरप्पभूएण 'जलस्थलजभास्वरमभू - तेन जलेषु स्थलेपुच यज्जात भास्वर = विकसित, प्रभूत प्रचुर, तेन ' दसद्धान्नेण' दशार्ध वर्णेन पञ्चवर्णयुक्तेन माल्येन मारयेभ्यो हित माल्य = पुष्पजात, तेन ' अत्युयपचत्थुयसि ' आस्तृत प्रत्यास्तृते क्रमश उपर्युपरि समाच्छादिते शयनीये शरपाया ' सन्निसन्नाओ ' सन्निपण्णा=सनिविष्टा 'सण्गिवन्नाओ' सनिपन्नाः सुप्ताथ विहरन्ति सुखेन तएण तीसे पभावईए' इत्यादि । " 6 टीकार्थ - (तरण) इस के बाद (तीसे पभावईए देवीए ) उस प्रभावती देवी के जय (तिष्ट मासाण बहुपडिपुत्राण ) तीन मास अच्छी तरह से पूर्ण हो चुके-तन (इमेयाख्वे दोहले पाउन्ए ) उसे इस प्रकार का दोहला उत्पन्न हुआ- ( धन्नाओ ण ताओ अम्मयाओ ) वे माताएँ धन्य हैं ( जाओ ण जल थलय भासुरप्पभूषण दसद्ध बन्ने णं मल्लेण ) जो जल मे एव स्थल में उत्पन्न हुए विकसित पचवर्णों के प्रभृतपुष्पों से ( अत्य पच्चत्युयसि सयणिज्जसि सन्निसन्नाओ मन्निवन्नाओ य 'तरण तीसे पभावइए । , त्याहि ! टीअर्थ - (तएण ) त्यारणाह (तीसे प्रभावइए देवीए ) प्रभावतीदेवीने न्यारे ( तिन्ह मासाण बहुपडिपुन्नाण ) त्रशु भडिना सारी शेते पसार थ शु¥या त्यारे (इमेयारूवे दोहले पाउ भूए) तेने या प्रमाणे होई उत्पन्न थयु ( धन्नाजो ण ताओ अम्मयाओ ) ते भाता थे। धन्य छे (जाओ ण जल थलय भासुरपभूषण दसद्धवन्नेण मल्लेण ) थे। भज भने स्थनमा उलवेसा અને વિકાસ પામેલા પાંચરગના પુષ્કળ પ્રમાણુમા એકઠા કરેલા પુષ્પાથી
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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