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________________ ज्ञाताधर्म कयास गारस्स अगिलाए वेयावडियं करेंति। तएणं से मेहे अणगारे समणस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारसअंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुन्नाई दुवालसवरिसाइं सामन्नपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाएं अप्पाणं झोसित्ता सर्टि भत्ताइं अणस. णाए छेदित्ता आलोइयपडिकंते उद्वियसल्ले समाहिपत्ते अणुपुव्वेणं कालगए! तएणं ते थेरा भगवंतो मेहं अणगारं अणुपुत्वेणं काल गयं पासेंति, पासित्ता परिनिव्वाणवत्तियं कोउस्सग्गं करेंति, करित्ता मेहस्ल आयार भडगं गिण्हंति गिमिहत्ता विउलाओ पव्वयाओ सणियंर पञ्चोन्हंति पञ्चोरुहित्ता जेणामेव गुणसिलए चेइए जेणामेव समणे भगव महावीरे तेणोमेव उवागच्छति उवागच्छित्ता समण३ वंदति नम संति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खल्लु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णामं अणगारे पगइभद्दए जावविणीए से णं देवाणुप्पिएहिअन्भणु. न्नाए समाणे गोयमाइए समणे निग्गंथेनिग्गंथीओ य खोमेत्ता अम्हेहिं सद्धिविउलं पव्वयं सणियर दुरूहइ,दूरूहित्ता सयमेव मेघणसन्निगास पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ, पडिले हित्ता भत्तपाणपडिया इक्खिए पुट्वेणं कालगए। एस णं देवाणुप्पिया ! मेहस्सअणगारस्त आयरभंडए सू.४९॥ टीमा--'तएणं से उन्यादि । ततः खलु स मेघः अनगारः श्रमणेन भगयता महावीरेणाभ्यनुज्ञातः सन् हाट यावद्धृदयः उत्थया उत्यानशक्तथा उत्तिनएणं से मेहे अणगारे' इत्यादि । टीकार्य-(तपणं) इसके पाद (से मेहे) वे मेपकुमार (अणगारे) धनगार (ममण भगवया महावीरेणं अभणुन्नाए समाणे) श्रमण भगवान. तएवं मेहे अगगारं त्यादि ___ -(प) त्यानमा (से मेहे) मेघमा२ (अणगारे) मना२ (सम. गेणं भगवया महावीरेणं अमणुन्नाग ममाणे) भन । वान महा
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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