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________________ भनगारधर्षामृतवर्षिणीटीका अ.१ सू. १४ अकालमेघदोहनिरूपणम् १९१ धारिणीए देवीए अयमेयारूवस्स अकालदोहलस मणोरहसंपत्ती भविस्सइ त्तिक सेणियं रायं ताहि इटाहि कंताहिं जाव समासासेइ। तएणं सेणिए रायाअभएणं कुमारणं एवं वुत्ते समाणे हटतुटे जाव अभयकुमारं सकारेइ सम्माणेइ सकारिता सम्माणित्ता पडि. विसज्जेइ ॥१४॥ सू०॥ टोका-'तयाणंतरं इत्यादि ! तदनन्तरम् अभयकुमारः स्नातः कृतवलिकर्मा यावत् सर्वालङ्कारविभूषितः 'पायवंदए' 'पादवन्दका-पितृपादलन्दनार्थी 'पहारेस्थगमणाए' प्राधारयद् गमनाय-नृपचरणवन्दनाय सया गन्तव्य मिति निश्चय कृतवान् । ततःखलु सोऽभयकुमारो यत्रेय श्रेणिको राजा तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य श्रणिकं राजानम् अपहतमनःसकल्पं यावत् पश्यति । दृष्ट्वा अयमेतपा-वक्ष्यमाणस्वरूपः अध्यात्मिकः अत्मगतः, चिन्तितः, कल्पितः, प्रार्थितः, मनोगतः संलल्पः 'समुप्पजित्था' समुदपधत-समुत्पन्न:-कीदृशः संकल्पः 'तयाणंतरं अभयकुमारे' इत्यादि। टीकार्थ-(नयागंतरं) इसके बाद (हाए) स्नान करके (फयबलिकम्मे) जिमन बलिकर्म कौवे आदि को अन्नादि भाग देने रूप क्रिया कर लिया है और जो (सव्वालंकारविभूसिए) समस्त अलंकारों से विभूषित हो चुके हैं ऐसे (अभय कुमारे) अभयकुमारने (पायवंदए गमणए पहारेन्थ) उस समय पिता के चरणों की वंदना करने का निश्चय किया। (तएणं से अभयकुमारे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छद) निश्चयानुसार वे जहाँ अपने पिता श्रेणिक राजा थे) वहां आये (उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहयप्रणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासइ) आते ही उन्होंने श्रेणिक राजा को अपहतमन संकरपत्राला ओर चिन्तातुर देखा-(पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए चिं "तयाणंतरं अभयकुमारे इत्यादि" टी - तथागतर) त्या२६ (हाए) स्नान ४शन (फयल्लिकस्से) 131 पोरने मेन्नमा २५वी भणे मसिभ ३४यु छ, भने । (सब्बालंकार निभूसिप) समस्त मारी द्वारा शमी २६॥ छ, भने (अमकुमारे) मलयमारे १,यदए गमणए पहारेत्थ) पिताना यो|मा न ४२वाना निश्चय यो (नएणं से अभयकुमारे जेणेव मेणिए राया तेणेव उवागच्छइ) पोताना निश्चय प्रमाणे समयभार ज्यां श्रेणुि ता त्यां गया. (उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहयमणकप्पं जाव झियायराणं पासइ) त्यांने तमाये श्री राने हतोत्साडी थने ४८५ विपा शिंतामन या. (पासिता अयमेवास्वे
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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