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________________ भगवती सूत्रे हे गौतम! ' उवसंत कसायवीयरागे वा होज्जा' उपशान्तकपायवीतरागो वा वेद निर्ग्रन्थः, क्षीण पायवीतरागो वा भवेत् । 'सिणाए एवं चेव' स्नातक एवमेव-निर्ग्रन्यवदेव ज्ञातव्यः, 'णवरं णो उवसंतकसायवीयरागे होज्जा खीणकसायवीयरागे होज्जा' नवरम् - केवलं निर्ग्रन्यापेक्षया स्नातके इदं वैलक्षण्यं यत् स्नातको नो उपशान्तकपायवीतरागो भवेत् अपितु क्षीणकपायवीतराग एव भवेदिति ३ । चतुर्थ कलद्वारमाह- 'पुलाए णं भंते ! कि ठियकल्पे होज्जा अद्विकल्पे होज्जा' पुलाकः खलु भदन्त किं स्थितल्पो भवेद अस्थितकल्पो भवेदिति प्रश्नः । भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम । स्थितकल्यो वा उवसंत कसाघवीयरागे होज्जा, खीणकसायचीयरागे ना होज्जा' हे गौतम ! यह उपशान्त कषायवाला होने से भी वीतराग होता है और क्षीणकषायवाला होने से भा वीतराग होता है । 'सिणाए एव' 'चेव' इसी प्रकार का कथन स्नातक के सम्बन्ध में भी जानना चाहिये । 'णवर' णो वसंतकसाय वीयरागे होज्जा, खीणकस्त्राय वीथरागे होज्जा' परन्तु यह निर्ग्रन्थ की तरह उपशान्तकषाघवाला होने से वीतराग नही होता है किन्तु क्षीणकषायवाला होने से ही वीतराग होता है । चतुर्थकल्पहार- 'पुलाए णं भंते । किं द्विपकल्पे होज्जा, अडियकल्पे होज्जा" हे भदन्त | पुलाक क्या स्थितकल्पवाला होता है ? अथवा अस्थितकल्पवाला होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- "गोया ! ठिक होज्जा अडियरुप्पे होज्जा' हे गौतम | वह पुलाक स्थितकल्प वाला भी 'गोयमा ! उवसंत कसायवीरागे वा होज्जा खीणकसायविरागे वा होज्जा' हे ગૌતમ તે ઉપશાંત કષાય વાળા હાવાથી પણ વીતરાગ હોય છે અને ક્ષીણુ उपायवाला होवाथी पशु वीतराग होय छे. 'सिणाए एवं चेव' मे प्रभाषेनु हुथन स्नातङना सं'अ'धभां पशु समवु' 'णवर णो उस तकसायवीयरागे होज्जा खोकसायवीयरागे होज्जा' परंतु ते निर्थन्थना स्थन प्रमाणे उशांत उपाय હાવાથી જ વીતરાગ હાય છે. આ રીતે આ ત્રીજુરાગદ્વાર છે. ચાક્ષુ’ કલ્પદ્વાર~~~ 'yore a 1 ठिकप्पे होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होजा' है लगवन् पुसा શુ સ્થિતકલ્પવાળા હોય છે ? કે અસ્થિત કલ્પવાળા હોય છે ? આ પ્રશ્નના उत्तरभां अनुश्री हे हे हे- 'गोयमा ! ठिक वे ना होज्जा अट्ठियाने वा होन्जा' હે ગૌતમ ! તે પુલાક સ્થિત કલ્પવાળા પણુ હોય છે, અને અસ્થિત કલ્પ
SR No.009326
Book TitleBhagwati Sutra Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages708
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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