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________________ भगवती सूत्रे ५८ हे गौतम ! 'सवेयए होज्जा' सवेदको भवति पुलाकः, नो अवेदको भवति पुलाक वकुशप्रति सेवाकुशलानामुपशमश्रेणीक्षपकश्रेण्पोरभावात् इति । 'जइ सवेयए कि इत्थवेयर होज्जा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसणपुंसमवेयर होज्जा' यदि पुलाकः सवेदको भवति तदा किए स्त्रीवेदो भवति, पुरुषवेदको वा भवति पुरुष - नपुंसक वेदको वा भवतीति मनः । भगवानाद - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोमा' हे गौतम! 'णो इस्थिवेयए होज्जा' नो स्त्रीवेदको भवति स्त्रीणां पुला. कलन्धेरभावादिति । 'पुस्सिवेयए होज्जा' पुरुषवेदक: पुलाको भवति - 'पुरिसपुंसमवेयर वा होज्जा' पुरुषनपुं पकवेदको वा भवति यः पुरुषः सन पुरुषवेद रहित होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोपना ! सवेषण होज्जा' हे गौतम! पुलाक निर्ग्रन्थ वेदसहित होते हैं 'वो जवेयर होज्जा' वेदरहित नहीं होते है । क्योंकि पुलाक, पकुश और प्रतिसेपना कुशील इनके उपशम श्रेणी और क्षपक श्रेणी का अभाव होता है । इसलिये वे अवेदक नहीं होते हैं । अप गौतम प्रभुश्री से ऐश पूछते हैं- 'जह सर्वेयए छोज्जा, कि इस्थी वेयए होज्जा पुरिसवेधए होज्जा, परिक्षण पुंगवेयए होज्जा' हे भदन्त ! यदि पुलाक निर्ग्रन्थ वेद सहित होते है तो क्या वह स्त्रीवेदवाला होता है ? अथवा पुरुषवेदवाला होता है ? अथवा पुरुष नपुंसक वेदवाला होता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं'गोधना ! जो इत्थवेयए होज्जा पुरिलवेयए होज्जा पुरिक्षणपुंसगdry या होज्जा' हे गौतम! वह स्त्रीवेदवाला नहीं होता है क्योंकि स्त्रियों को पुलाक लब्धि का अभाव रहता है वह पुलाक पुरुषवेदवाला होता है अथवा पुरुष नपुंसक वेदवाला होता है । जो पुरुष होकर अपने होय छे ? या प्रश्नना उत्तरमा प्रलुश्री गौतमस्वामीने हुडे - 'गोयमा ! सवेयए होज्जा' हे गौतम! पुसा निर्थथ वेहसहित - बेहवाजा होय छे. नो अवेयर होजा' वेदविनाना होता नथी. प्रेम-साउ, गहुश भने अतिसेवना કુશીલે ને ઉપશમ શ્રેણી અને ક્ષપક શ્રેણીના અભાવ હૈાય છે. તેથી તે આવેદક–વેદવિનાના હાતા નથ્ય. हुवे गीतभस्वाभी प्रलुश्रीने मधुं पूछे छे - 'जइ सवेयए होज्जा कि' इत्थीवेयए होज्जा पुरीसवेयए होजा पुरीसणपुंसगवेयए होज्जा' हे लगवन् ले युवा निर्यथ વેદ સહિત હાય છે. તેા શું તે ાં વેઢવાળા હાય છે ? અથવા પુરૂષવેઢવાળા હાય છે ? અથવા પુરૂષ નપુ ́સકવેદવાળા હોય છે? આ પ્રરના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમસ્વાभीने हे छे- 'गोयमा । णा इत्थीवेयए होज्जा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसणपुंसगवेयए होज्जा' हे गौतम् ! ते स्त्रीहवा होता नथी भट्ठे स्त्रीयोने पुसा લબ્ધિના અભાવ હાય છે. તે પુલાક પુરૂષવેદવાળા હાય છે. અથવા પુરૂષ નપુ ંસક
SR No.009326
Book TitleBhagwati Sutra Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages708
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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