SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 867
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - प्रमेयन्द्रिका टीका श०६५ उ.४ सू०८ प्र० परमाणुपुद्गलानामल्पबहुत्वम् ८४९ -स्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठपएसठ्ठयाए' सर्वस्तोका एकगुणकर्कशाः पुद्गला 'द्रव्यार्थपदेशार्थतया-तदपेक्षया 'संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाएं संखे ज्जगुणा'-संख्येयगुणकर्कशाः पुद्गला द्रव्यार्थ तया संख्येयगुणा अधिका भवन्ति । 'ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा' त एव प्रदेशार्थ तया पूर्वापेक्षया संख्येयगुणा अधिका भवन्ति । 'असखेज्जगुणकक्खडा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा'-असंख्येय गुणकर्कशाः पुद्गला द्रव्यार्थ तया पूर्वापेक्षया-असंख्यातगुणा अधिका भवन्ति । 'ते चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा' तएव प्रदेशार्थ तया पूर्वापेक्षया असं. ख्येयगुणा अधिका भवन्ति। अणंतगुणकक्खडा दबट्ठयाए अर्णतगुणा' अनन्तगुणकर्कशाः पगला द्रव्यार्थतया पूर्वेभ्योऽनन्तगुणा अधिका भवन्तीति । 'ते चेत्र पएसटूठयाए अणंतगुणा' त एवं प्रदेशार्थ तया पूर्वेभ्योऽनन्तगुणा अधिका भवन्ति । 'एव मउय-गरुय-लहुयाण वि अप्पा बहुयं' एवम्ही है। 'व्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दब्वपएमट्टयाए' द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ दोनों प्रकार से सप से कम एक गुणकर्कश स्पर्शवाले पुद्गल हैं। 'संखेज्जे गुगरुक्खडा पोग्गला दबट्टयाए 'संखेज्जगुणा' संख्यातगुण कर्क शस्पर्शवाले पुद्गल द्रव्यरूप से पूर्व की अपेक्षा संख्यातगुणे अधिक हैं। 'ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा और ये ही पुद्गल प्रदेशरूप से पूर्व की अपेक्षा संख्यातगुणें हैं । 'असंखेज्ज. गुणकक्खडा व्वयाए असंखेज्जगुणा' असंख्यातगुण वर्क शस्पर्शवाले पुद्गल द्रव्यरूप से पूर्व की अपेक्षा असंख्यातगुणे अधिक हैं। 'ते चेव पए. सट्टयाए असंखज्जगुणा' और ये ही पुद्गल प्रदेश रूप से पूर्व की अपेक्षा असंख्यातगुणें अधिक हैं। 'अणंतगुणकक्खडा दवयाए अणतगुणा' अनन्तगुणकर्क शस्पर्श वाले पुद्गल द्रव्यरूप से पूर्व की अपेक्षा अनन्त पुडा द्रव्य५ अभाव । छ 'व्वटुपएसद्वयाए सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोगला व्वट्रपएस ट्रयाए' द्रव्याथ भने प्रदेशाथ सम भन्ने प्राथी भागतमा सय ४४श पुगता सौथी माछ। छे. 'संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वदयाए 'सखेज्जगुणा' सभ्याताय! ४४० २५ पुगो द्रव्यपाथी पडला १२ता सभ्याता धारे मामा मावस छे. 'वे चेव पएसद्रयाए संखेज्ज TI’ અને આ પુલ જ પ્રદેશપણુથી પહેલા કરતાં સંખ્યાતગણું વધારે छ. 'असंखेज्जगुणकाखा व्वयाए असंखेज्जगुणा' मन्यात ५२. पपुवा द्रव्यपाथी ५४ा ४२ता मसभ्यातगया पधारे छे. तेव पएसदयाए असखेज्ज गुणा' मने मारसा प्रशपथी पानी अपेक्षाथा मस याताय। पधारे छे. 'अणंतगुणकक्खडा बट्टयाए अणतगुणा' मनात. ગણા કર્કશ સ્પર્શવાળા પુદ્ગલ દ્રવ્યપણાથી પહેલા કરતાં અનંતગણું વધારે छे. भने ' चेव पएसट्टयाए अणतगुणा' मा पुरले प्रदेशमाथी पड़ता भ० १०७
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy