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________________ भगवती सूत्रे पंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते । जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवइयकालट्ठिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवास सहस्र उको सेणं पलिभोवमस्स असंखेज्ञभागट्टिइएस उववज्जेज्जा' इत्युत्पादसूत्रम्, एतस्मादारभ्य - ' से णं भंते ! पज्जत्तसन्निपचिदियतिरिक्खजोणि रयणप्पा पुढची नेरइए पुणरवि पज्जत्तसन्निर्चिदियतिरिक्खजोणिए चि केari कालं गतिरागर्ति करेजा, गोयमा ! भवादेसेण दो भवग्गहणाई काला देसेण जह नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमन्महियाई, उक्कोसेणं पलिओ - वमस्त असंखेज्जइभार्ग पुव्त्र कोडीमन्महियं एवइयं कालं सेवेज्जा एवइयं कालं गतिरागति करेना' इत्यनुबन्धसूत्रम् एतावत्पर्यन्तं सर्वमपि प्रकरणं वक्तव्यम् ३७० सह भंते ! जे भविए रघणप्पभाए पुढवीए नेरइएलु उवचज्जिन्तए, से णं भंते ! के कालएिस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवासकोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइ भाग ट्ठिएस उबघज्जेज्जा' ऐसा यह उत्पाद सूत्र कहां गया है, सो इस उत्पाद सूत्र से लेकर 'से णं भंते पज्जत्तासन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए पुढवीए नेरहए, पुणरवि पज्जन्तअसन्नि पंचिदियतिरिक्खजोणिएप्ति hari कालं सेवज्जा ? केवइयं कालं गतिरागतिं करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्रगहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहरसाई, अंतोमुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पुण्चकोडीमन्महियं एवइयं कालं सेवेज्जा एवइयं कालं गतिरागतिं करेज्जा' इस सूत्र तक अनुबन्ध सूत्र है सेा यहाँ तक का समस्त प्रकरण जानिए णं भंते! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएस उवषज्जित्तए से णं भंते! केवइयकालट्ठिएसु उत्रवज्जेज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं दसवास सहस्त्र टिइएस उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्टिइएस उववज्जेज्जा' मा प्रभाबे मडियां પહેલાં આ ઉપપાત સૂત્ર કહેવામાં આવેલ છે. આ ઉત્પાદ સૂત્રથી લઈને 'से णं भंते! पज्जत्तासन्निपंचिदियतिरिक्खजेाणिए रयणप्पभाष पुढवीए नेरइपसु पुणरवि पज्जता असन्नि पंचिदियतिरिक्खजाणिपत्ति केवइयं कालं सेवेज्जा ? केवइयं कालं गतिरागति करेज्जा १ गोयमा ! भवादेसेणं दा भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दसवास सहरसाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उकोसेणं पलिओमस्य असंखेज्जइभागं पुत्रकेाडी मन्भहियं एवइयं कालं सेवेज्जा, एवइय कालं गति रागति करेन्जा' या सूत्र सुधी अनुबंध सूत्र छे. मेथी सहि सुधीनुं तभाभ
SR No.009324
Book TitleBhagwati Sutra Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages683
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size42 MB
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