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________________ भगवतीसवे य नीलए य लोहियए य हालिदगा य९, सिय कालगाय नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य १०, सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य हालिइए य११, एए एकारत भंगा एवमेव पंच बउका संजोगा कायव्वा एकेकसंजोए एकारस भंगा सब्जे ते चउकसंजोएणं पनपन्त भंगा। जइ पंचवन्ने लिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए । सुकिल्लए य? सिय कालए य लीलए य लोहियए थ हालिदए य मुक्षिगाय२, सिय कालए थ नीलए य लोहियए य हालिहगा य सुकिल्लए य३, सिय कालए य नीलए य लोहियगाय हालिदए य सुकिल्लए य४, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य५ सिय कालगाय लीलए प लोहियए य हालिहए य सुकिल्लए य६, एवमेए छ भंगाभाणियच्या, एवमेते लम्बे वि एक्कगदुयगतियगचउक्कगपंचगसंजोगेसु छासीयं भंगलयं भवइ। गंधा जहा पंच पएसियस्त रसा जहा एयस्लेव बन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥सू०४॥ ___ छाया---पट्मदेशिनः खल्ल भदन्त ! स्कन्धः कतिवर्णः कतिगन्धः कतिरस: कतिस्पर्शः प्रज्ञप्तः ? एवं यथा पञ्चपरेशिका यावत् स्यात् चतुःस्पर्श: मज्ञप्तः। यदि एकवर्णा, विवों यथा पञ्चपदेशिकस्य यदि त्रिवर्णः स्याद कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च एवं यथैव पञ्चमदेशिकस्य सप्तमगा यावत् स्यात् कृष्णाश्च नीलाश्च लोहितश्च० स्यात् कृष्णाश्च नीताश्च लोहिताश्च । एते अष्ट भङ्गाः। एवमेते दश त्रिकसंयोगाः, एकैकसंयोगे अष्टौ भङ्गाः, एवं सर्वेऽपि त्रिकसंयोगे अशीतिभङ्गाः। यदि चतुवर्ण: स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च पीतश्च१, स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च पीताश्च२, स्थात् कृष्णश्च नीकरच लोहिताश्च पीतश्च३ स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहिताश्च पीताश्च४, स्यात् कृष्णश्च नीलाश्च लोहितश्च पीतश्च५, स्यात् कृष्णश्च नीलाश्च लोहितश्च पीताश्च६, स्यात् कृष्णश्च
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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