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________________ २२५ .. भगवतींसूत्र टीका-'अत्थि णं भंते !' सन्ति खल्ल भदन्त ! 'इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः, 'अहे' अधोभागे 'दबाई' द्रव्याणि, यानि द्रव्याणि खलु 'वन्नो कालनीललोहियहालिमुक्किल्लाई' वर्णतः कृष्णनीललोहितहारिद्रशुक्लानि-कृष्णनीललोहितपीतशुक्लरूपवन्ति द्रव्याणि, तथा 'गंधो मुन्मिगंधाई दुभिगंधाई" गन्धतः सुरभिगन्धीनि दुरभिगन्धीनि तथा 'रसो तित्तकड्डयकसायअंबिलमहुराई' रसतः तिक्तकटुकपायाम्लमधुराणि तिक्तादि रसवन्ती. त्यर्थः तथा, 'फासओ कक्खडमउयगरुयलहुयसीयउसिणनिद्धलुक्खाई' स्पर्शतः कर्कशमृदुकगुरुकलघुकशीतोष्णस्निग्धलक्षाणि यथोक्तस्पर्शविशिष्टानि नानि किम् पुद्गलों का निरूपण किया जा चुका है। अब उन्हीं पुद्गलों का वर्णादिगुणों को लेकर वर्णन किया जाता है 'अस्थि णं भंते इसीसे रयणप्पभाए पुढवीए' इत्यादि । टोकार्थ-इस स्त्र द्वारा गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' हे भदन्त ! इस रत्नप्रभा पृथिवी के 'अहे' अधोभागमें ऐसे द्रव्य जो 'वन्नो कालनील लोहियहालिह मुक्किल्लाई' वर्ण से काले हो, नीले हो, लोहित हो, पीले हो और सफेद हो तथा 'गंधओ' गंध से 'सुभिगंधाई दुन्भिगंधाई सुरभिर्गधवाले हो एवं दुरभिगंधवाले हो । 'रसओ' रस से तित्तकडुयकसाय. 'अंपिल महुराई' तिक्त, कटुक, कपाय, अम्ल एवं मधुर रसोपेत हों। 'फासओ' स्पर्श से 'फक्खड़मउयगरुयलहुयसीयउसिणनिद्ध. પુલનું નિરૂપણ કરાઈ ગયું છે. હવે તે પુલેના વર્ણાદિ ગુણેને લઈને વર્ણન કરવામાં આવે છે. "अस्थि णं भवे ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए त्यात ટીકા--આ સૂત્રથી ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને એવું પૂછયું છે કે-- अस्थि णं भंते ! इनीसे रयणप्पभाए पुढवीए" भगवन् मा रत्नप्रभा पृथिवीना "अहे" नायन लारामा सेवा द्रव्ये। छ है --"वण्णओ कालनीललोहिय हालिहसुस्किल्लाई" प थी ४ा डाय, नील डाय, anाय, पीला डाय, भने सई हाय ? "गंधओ" भने यथा “सुन्भिगंधाई दुभिगंधाई" सुमि धाणा डाय लिय-धामा डाय "रसओ" रसथी "तित्तकईकसाय-अंबिलमहुराई" तित तीमा-४९४-४४ा पाय-तुरा मन-मा अने भधुर-भी. २साणा डाय "फासओ" २५Nथा 'कक्खडमउयगरुयलहुय सीयउखिणनिखलुक्खाई" ४४श, भूड, मारे आधु-७४। 81 BY-रम, थिए।
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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