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________________ भगवतीसूत्रे विचारः कृतः, तथा बहुत्वमाश्रित्यापि नो भवसिद्धिक नो अभवसिद्धिकेषु जीवेषु सिद्धेषु च प्राथम्या पाथम्ययोर्विचारे प्रथम एव न अप्रथमः । इति भवाभासिद्धिनामक तृतीयं द्वारम् ॥३॥ अथ चतुर्थ संज्ञिद्वारमाह-'सन्नीणं भंते !' इत्यादि । 'सन्नी णं भंते ! जीवे' संज्ञी खलु भदन्त ! जीवः 'सनिभावेणं किं पढमे पुच्छा' जीवः संज्ञिमावेन किं प्रथमः अप्रथमो वेत्याकारका प्रश्ना, भगनानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'नो पढमे अपहमे' न प्रथमः अपथमः संहीजीवः । स च संज्ञिमावेन न प्रथमः किन्तु अपथमः जीवस्यानन्तशः संज्ञित्वस्य लाभात् ‘एवं विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणिए' एवं विकलेन्द्रियवर्ज यावद्वैमानिकः विकलेन्द्रिया एकद्विसिद्ध में प्रथमता का विचार किया है, उसी प्रकार से बहुवचन को आश्रित करके भी नो भवसिद्धिक नो अभवसिद्धिक जीवों में और सिद्धों में प्रथमता और अप्रथमता में प्रथमता ही है अप्रथमता नहीं है। __ भवाऽभवसिद्धिनामक तृतीयद्वारसमाप्त। चौथा संज्ञिद्वारइस द्वार में गौतमने प्रभु से ऐसा पूछा है-'सन्नी णं भंते !जीवे, इत्यादि-हे भदन्त ! जीव संज्ञिभाव की अपेक्षा प्रथम है, या अप्रथम ? है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-गोधमा ! नो पढमे, अपढमे हे गौतम ! जीव संज्ञि भाव की अपेक्षा से प्रथम नहीं है किन्तु अप्रथम है। क्योंकि जीवने अनन्तवार संज्ञित्व की प्राप्ति की है। 'एवं विगलिंदियवलं. जाव वेमाणिए' इस प्रकार का कथन एशेन्द्रिय दोइन्द्रिय तेइन्द्रिय और અભવસિદ્ધિક એક જીવ અને એક સિદ્ધિમાં પ્રથમતા અને અપ્રથમપણને વિચાર કર્યો છે. એજ રીતે બહુવચનને આશ્રય કરીને ને ભવસિદ્ધિક ને અમરસિદ્ધિક એક જીવ અને એક સિદ્ધમાં પ્રથમતા અને અપ્રથમપણામાં પ્રથમતા જ છે અપ્રથમતા નથી. છે ભવાભાવસિદ્ધિ નામનું ત્રીજુ દ્વારા સમાપ્ત છે છે શું સંસી દ્વાર છે मा वाम गौतम स्वामी प्रसुन मे पूण्य छ है-"मन्नीणं भंते ! जीवे इत्यादि के सन् ! ७ सीमानी अपेक्षा प्रथम छे. मप्रथम छ ? तना उत्तरमा प्रभु ४ छ. "गोयमा! नो पढमे अपढमे" હે ગૌતમ! જીવ સંભાવની અપેક્ષાથી પ્રથમ નથી પણ અપ્રથમ છે. કેમ १ वे मनतवार सशिपयानी प्राति से छ. "एवं विगलि दिय जाव
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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