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________________ - ३६० भगवतीस्त्रे विस्रपया प्रत्यवपततः यावत् पञ्चभिः स्पृष्टाः, अत्र यावत्पदेन 'उवग्गहे वति ते वि य णं जीवा काइयाए' इत्यन्तस्य ग्रहणं भवति स्वभावत एव पततः कन्दस्य मार्गे स्थाबादयः उपग्रहे-रणे वर्तन्ते तेऽपि जीवाः पञ्चभिः क्रियाभिः स्पृष्टा भवन्ति, कन्दपतनात् जायमानमाणातिपातं प्रति तेषां साक्षात् निमित्तत्वादिति फलितार्थः । 'जहा कंदे एवं जाव बीए' यथा कन्दा, एवं यावत् बीजम् , अत्र - यावत्पदेन स्कन्धत्वक् शाखामवालपत्रपुष्पफलानां संग्रहो भवति यथैव कन्द विषये पद स्थानानि कथितानि तथैव स्कन्धादारभ्य वीजपर्यन्तम् सूत्राणि संयोजनीयानि युक्त प्रकारस्य च सर्वत्र समत्वादितिमा ॥ २॥ उपग्राहक हैं- जीव भी पांचों ही क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। यहां यावत्पद से 'उवग्हे वट्टति ते वियण जीवा कइयाए' यहां तक का पाठ गृहीत हुआ है। क्योंकि कन्द आदिकों के गिरने से जायमान प्राणातिपात क्रिया के प्रति उनमें साक्षात् निमित्तता आती है । 'जहा कंदे एवं जाव थीए' जैसा यह क्रिया लगने का कथन कन्द के विषय में कहा गया वैसा ही कथन यावत् बीज में भी कर लेना चाहिये। यहां यावत् पद से स्कन्द, स्वक्, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, एवं फल इनका संग्रह हुआ है। तात्पर्य कहने का यह है कि जिस प्रकार से कन्द के विषय में ६ स्थान कहे गये हैं। उसी प्रकार से स्कन्ध से लेकर वीज पर्यन्त के सूत्र भी संयोजित कर लेना चाहिये। युक्ति और प्रकार सर्वत्र समान है ॥सू०२॥ પ્રત્યે જે ઉપગ્રાહક હોય છે. તે જીવો પણ પાચે ક્રિયાઓથી પૃષ્ટ થાય છે. अडियां यावत् ५४थी "उव्वग्गहे वटुंति ते वि य गं जीवा काइयाए" महि સુધીને પાઠ ગ્રહણ થયો છે. કેમ કે કંદ વિગેરેને પડવાથી થવાવાળી प्रायातिपातयिाम तमे निमित्त ३५ डाय छे. "नहा कंदे एवं जाव वीए" २वी शत भा यि गानु वन ना विषयमा ४यु छ. ते જ કથન બીજના વિષયમાં પણ સમજવું. અહિયાં યાવત પદથી કંદ (१४, (wit) शामा (319) प्रवास (पत्र) ०५ ते २१ मे अहए थया है. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે જે પ્રકારે કંદના વિષયમાં છ સ્થાને (પ્રકાર) કદાા છે. તેજ રીતના છ સ્થાન ઠંધથી લઈને બીજ પર્યતમાં પણ સમજવા યુક્તિ અને પ્રકાર બધે સરખા છે. એ સૂત્ર ર છે
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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