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________________ રૂપર भगवतीस जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्समूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं चणं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुढे १ | जेसि पियणं जीवाणं सरीरेहिंतो मूलं निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा २ । अहे णं भंते ! से मूले अप्पणी गरुपत्ता जाव जीवियाओ ववरोवेइ, तए णं भंते ! से. पुरिसे कइ किरिए ? गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणी जाव ववशेवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्टे३ । जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो ताले निवत्तिए ते विणं जीवा काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठा ४ । जेसि पिय णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए ते विणं जीवा काइयाए जा पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ५ । जे विय णं से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वर्द्धति ते विणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरिया हि पुट्ठा ६। पुरिसे णं भंते! रुक्खस्ल कंद पचालेमाणे कइ किरिए गोयमा ! जावं च णं से पुरिले कंद पंचालेइ तावं चणं से पुरिसे जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे १ । जेसि पिणं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए ते विणं जीवा काइयाए जा पंचर्हि किरियाहिं पुट्ठा २ । अहे णं भंते! से कंदे अप्पणो० जाव उहि किरियाहि पुढे ३ । जेसिपि य णं जीवाण सरीरेहिंतो ताले निव्वत्तिए जाव चउहि किरियाहि पुट्ठा ४ | जेसिं पिणं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए ते विय णं जीवा जाव पंचाहि किरियाहिं पुट्ठा ५। जे वि य णं से जीवा अहे वीस
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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