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________________ ३२४ भगवतीसूत्र इत्यर्थः । एवं जहा पढमसए बिइयउद्देसए दोवकुमाराणं वत्तब्धया तहेत्र' एवं यथा पथमशतके द्वितीयोदेशके द्वीपकुमाराणां वक्तव्यता तथैव द्वीपकुमारस्याहारादिविषये येनैव रूपेण वक्तव्यता कथिता तथैव तेनैव प्रकारेण अत्रापि वक्तव्या इति, कियर्यन्तं तत्राह-'जाव' इत्यादि। 'जाव नो समाहारा नो समुस्सासनिस्सासा' यावत् नो समाहारा नो समोच्छ्वासनिःश्वासाः उच्छ्वासनिःश्वसाधिकारपर्यन्तं प्रथमशतकीयद्वितीयोद्देशककृत्तान्तोऽत्र वाच्य इत्यर्थः । 'दीवकुमाराणां भंते ! कइलेस्साओ पन्नत्ताओ' द्वीपकुमाराणां भदन्त ! कति लेश्याः प्रज्ञप्ताः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि। 'गोयमा ।' हे गौतम ! 'चचारि लेस्साओ पन्नत्ताभो' चतस्रः लेश्याः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा' तद्यथा 'कण्हलेस्सा जाव हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है। अर्थात् सब द्वीपकुमारों का - आहार, एवं उच्छ्वास निःश्वास समान नहीं होता है। एवं जहा पढमसए विइय उद्देसए दीवकुमाराणं वत्तव्यया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा' इस विषय में जैसा कथन प्रथमशतक के द्वितीय उद्देशक में बीपकुमारों की वक्तव्यता में पहिले कहा जा चुका है उसी प्रकार का कथन यहां पर भी इस विषय में कर लेना चाहिये। भावत् वे न समान आहारवाले होते हैं और न समान उच्छ्वास नि:श्वासवाले होते हैं । अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'दीवकुमाराणं भंते! कइलेस्साओ पन्नत्ताओ' हे भदन्त ! द्वीपकुमारों के कितनी लेश्याएँ कही गई है ? उत्तर में प्रभु ने कहा है कि 'गोयमा' हे गौतम! 'चत्तारि. लेस्साभो पण्णसाओ' दीपकुमारों के चार लेश्याएँ कही गई हैं । 'तं स्वाभान ४ छ , “णो इणद्वे समढे" गौतम या मथ सभथ नया અર્થાત્ બધા દ્વીપકુમારને આહાર અને ઉચ્છવાસ નિશ્વાસ સરખા હતા तथा "एव जहा पढमसए विइए उद्देसए दीवकुमाराणं वचव्यता सहेव" मा विषयमा २४थन पडेशन भी देशामा द्वीपमाशना કથનમાં પહેલા કહેવામાં આવ્યું છે એજ રીતનું કથન આ વિષયમાં અહિં પણ સમજી લેવું યાવત્ તે સમાન આહારવાળા હોતા નથી તેમજ સમાન ઉશ્વાસ નિ:શ્વાસવાળા પણ હોતા નથી. હવે ગૌતમ સ્વામી પ્રભુને એવું पूछे छ --"दीवकुमाराणं भंते कइस्त्राओ पण्णताओ" . सगन बी५કુમાને કેટલી વેશ્યાએ કહી છે? તેના ઉત્તરમાં પ્રભુએ કહ્યું છે કેगोयमा ! 8 गौतम "चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओं" द्वीपमाश मा यार
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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