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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१६ उ०९ सू० १ वैरोचनेन्द्रवलिवक्तव्यती ३१७ 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' तदेवं भदन्त । तदेवं भदन्त ! 'जाव विदरइ' यावद्विहरति, हे भदन्त ! बलेविषये यद् देवानुपियेण कथितं तत् एवमेव-सत्यमेव इत्युक्वा भगवान् गौतमो भगवन्तं नमस्कृत्य संयमेन तपसा आत्मानं भावयन विहरतीति ।मु० १॥ ॥ इति श्री विश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-मसिद्धवाचक-पञ्चदशभाषाकलितललितकलापालापकाविशुद्धगद्यपधनकग्रन्थनिर्मापक, . वादिमानमर्दक-श्रीशाहूच्छत्रपति कोल्हापुरराजप्रदत्त'जैनाचार्य पदभूषित-कोल्हापुरराजगुरुबालब्रह्मचारि-जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर -पूज्य श्री घासीलालबतिविरचितायां श्री "भगवतीसूत्रस्य" प्रमेयचन्द्रिकाल्यायां व्याख्यायां षोडशशतके नवमोद्देशकः समाप्तः॥१६-९॥ अनुरूप जानना चाहिये । 'सेवं भते ! सेवं भंते ! इस सब कथन को सुनकर गौतम ने प्रभु से कहा है। 'हे भदन्त! आप देवानुप्रिय ने जो बलि के विषय में कथन किया है, वह सर्वथा सत्य ही है, हे भदन्त ! आप देवानुप्रियने जो बलि के विषय में यह कथन किया है वह सर्वथा सत्य ही है। ऐसा कहा ऐसा कहकर फिर वे गौतम 'यावत् विहरति' तप और संयम से आत्मा को वासित करते हुए अपने स्थान पर विराजमान हो गये। सू०१॥ जैनाचार्य जैनधर्मदिवाकर पूज्यश्री घासीलालजीमहाराज कृत "भगवतीसत्र" की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्याके सोलहवें शतकका ॥ नववा उद्देशक समाप्त ॥ १६-९॥ કથન વૈરોચનેન્દ્ર બલી છે. ત્યાં સુધીનું પૂર્વોકત કથન અનુસાર સમજી લેવું. "सेव भंते सेवं भंते ! ति" मा सघणु ४थन सinजान गौतम स्वामी પ્રભુને કહ્યું કે હે ભગવન્ આ૫ દેવાનુપ્રિયે બલિના વિષયમાં જે કથન કર્યું છે. તે સર્વથા સત્ય છે. હે ભગવદ્ આપે જે કથન કર્યું છે. તે યથાર્થ છે. તેમ सीन पछी त गौतम स्वामी "यावत् विहरति" तपने सयभथा मात्मान વાસિત કરતાં થકા પિતાના સ્થાન પર વિરાજમાન થઈ ગયા. એ સૂત્ર ૧ | જૈનાચાર્ય જૈનધર્મદિવાકર પૂજ્યશ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત “ભગવતી સત્રની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાના સેળમા શતકને નવમે ઉદ્દેશક સમાતા૧૬-લા
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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