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________________ ३११ sheeन्द्रिका टीका श० १६ उ० ९ सू० १ वैरोचनेन्द्रबलिवक्तव्यता विक्रमेणं' इत्यादि सर्वं वाच्यम् । 'सीहासणं सपरिवार वलिस परियारेण' सिंहासनं सपरिवारं बलेः परिवारेण प्रसादावतंसकमध्यभागे सिंहासनं बलि सम्बन्धि सपरिवारं वक्तव्यम् एतदपि द्वितीयशतकीयाष्टमोद्देशक विवरणोक्तचमरसिंहासन न्यायेनैव वक्तव्यम्, केवलं तत्र चमरस्य सामानिकसिंहासनानां चतुःषष्टिसहस्राणि आत्मरक्षकसिंहासनानां तु तान्येव चतुर्गुगानि कथितानि, बस्तु सामानिकसिंहासनानां षष्ठिः सहस्राणि आत्मरक्षकानां तु तान्येव सक का वर्णन इस प्रकार से है - अड्डाइजाइ' जोपणसयाई उड्डु उच्चते, पणवीस जोयणसयाई विक्खंभेणं' इस प्रासादावतंसक की उंचाई २५० योजन की है । तथा इसका विष्कंभ १२५ योजन का है । इत्यादि रूप से इसका वर्णन और भी वर्णन यहां पर कर लेना चाहिए । 'सिंहासनं सपरिवारं बलिस्स परियारेणं' प्रासादावतंसक के मध्यभाग मैं बलिका सपरिवार सिंहासन है ऐसा भी यहां पर कहलेना चाहिये । यह सब वर्णन द्वितीयशतक के अष्टम उद्देशक में आया है। अतः चमर के सिंहान के समान ही बलि के सिंहासन का वर्णन कर लेना चाहिये। वहां चमर सामानिक देवों के ६४ हजार सिंहासन और आत्मरक्षक देवों के ६४ x ४ हजार सिंहासन हैं ऐसा जैसा कहा गया है, वैसा ही यहां बलि के सामानिक देवों के ६० हजार सिंहासन और बलि के आत्मरक्षक देवों के ६० X ४ हजार सिंहासन हैं ऐसा कथन जानना चाहिये । बस यही चमर और बलि के वर्णन में भेद हैं । वथुन या अभाशे छे. “अाइज्जाई जोयणखयाई उड्ढ' उच्चत्तेणं वीसं पणवीसं जोणयाइं विक्खंभेणं” भी आसाहावतंसनी उचाई २५० (असो पयास) योजननी है. तेमन माने। विष्ठले १२५ (गोडसे पीस) योजना है. विगेरे ३५थी जीनु' पशु खानु वर्षान अहि समल बेवु. “सिंहासनं सपरिवारं बलि परियारेणं" आसाहावत सम्ना मध्य भागभां परिवार सहित મલીનું સિ‘હાસન છે, વિંગેરે સઘળુ વર્ણન ખીજા શતકના આઠમા ઉદ્દેશામાં આવી ગયુ' છે. તે પ્રમાણે ચમરના સિંહાસનની માયૅક ખલીના સિહાસનનુ વણ પણ સમજી લેવું. ત્યાં આગળ ચમરના સામાનિક દેવેાના ૬૪ હજાર સિહાસન અને આત્મ રક્ષક દેવાના ૬૪૪૪=૨૫૬ હજાર સિ’હાસન છે. એવુ જે કહ્યું છે. તેવું જ અહિયાં ખલિના સામાયિક દેવાના ૬૦ તુજાર સિ’હાસન અને ખલિના આત્મરક્ષક દેવાના ૬૦૪૪=૨૪૦ હજાર સિહાસન છે એ પ્રમા શેનું કથન સમજી લેવુ. ખલી અને ચમરના વનમાં ફક્ત એટલેા જ ફેર
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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