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________________ ૨૭ भगवती सूत्रे टीका - परमाणुपोग्गले णं भंते ।' परमाणुपुद्गलः खलु भदन्त ! 'लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' लोकस्य पौरस्त्यात् चरमान्तात् 'पश्च्चत्थि मिल्लं चरितं ' पाश्चात्यम् चरमान्तम्, 'एगसमएणं गच्छ ' एकसमयेन गच्छति किम् एवं 'पचत्थिमिल्लाभी चरिमंताओ' पाश्चात्यात् चरमान्तात् 'पुरथिमिल्लं चरिमंत एगसमरणं गच्छई' पौरस्त्यं चरमान्तमेकसमयेन गच्छति एवम् 'दाहि जिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरितं एगसमपूर्ण गच्छ' दाक्षिणात्यात् चर'परमाणु पोग्गले णं भंते! लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' इस्थादि टीकार्थ - चरमाधिकार होने से ही गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है कि- 'परमाणुपोग्गले णं भते ।' हे भदन्त । परमाणुपुद्गल 'लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' लोक के पूर्वश्चरमान्त से 'पचस्थिमिल्लं - चरितं ' पश्चिमचरमान्ततक 'एगसमएणं गच्छइ' एक समय में चला जाता है क्या ? इसी प्रकार से वह परमाणुपुद्गल 'पच्चत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ' पाश्चात्यचरमान्त से 'पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ' पौरस्त्यचरमान्ततक एक समय में चला जाता है क्या ? इसी प्रकार से परमाणु पुगल 'दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंत एगसमएण गच्छ' दाक्षिणात्य चरमान्त से उत्तरचरमान्त तक एक समय में चला जाता है क्या ? 'उत्तरिल्लाओ चरमंताओ दाहिणिल्लं चरि "परमाणुपोगले णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ" - इत्यादि ટીકા”—ચરમાધિકાર હાવાથી જ ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને એ પ્રમાણે पूछयु छे हैं "परमाणुपोगले णं भंते !" हे भगवन् परमाणु युद्गगस "लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ' सोङना पूर्व थरमांतथी "पच्चस्थिमिल्लं चरिमंतं" पश्चिम थरभान्त सुधी "एगसमएणं गच्छई” शु ! सभयमां लय हे ? भने ये रीते ते युद्धगय परभागु' "पच्चत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ" पश्चिमना थरभान्तथी “पुरत्थिमिल्लं चरिमंत एगसमए णं गच्छइ" पूर्वना यरभान्त सुधी भे समयभां शु' लय छे ? ४ रीते मे युद्द्धा परभालु' "दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्ल चरिमंत एगसमएणं गच्छई" दक्षिशु हिशाना यरभान्तथी उत्तर हिशाना थरमान्त सुधी ! सभयभां यास्या लय हे ? " उत्तरिल्लाओ
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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