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________________ भगवतीसत्रे विपयत्वादुदधिनामको द्वादश उद्देशः १२ । 'दिसा' दिशा - अष्टमभवनपतीन्द्रदिक्कुमारविषयकत्वात् दिशेति नामकत्रयोदशोदेशका १३ 'थणिया' स्तनितः - दशमभवन पतीन्द्रस्तनितकुमारविषयत्वात् स्तनितनामकश्चतुर्दशोदेशकः १४ । अनेन प्रकारेण षोडशशतके चतुर्दशोदेशका भवन्ति ॥ ॥ १ ॥ ४ पूर्वोक्तेषु चतुर्दशोद्देशकेषु प्रथममधिकरणीनामकमुद्देशक्रमाह, तस्येदमादिमं सूत्रम्- 'तेणं कालेणं' इत्यादि । मूलम् - तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाब पज्जुवासमाणे एवं वयासी - अस्थि भंते अधिकारिणी वाउकार वक्कमइ, हंता, अथ से भंते किंपुढे उदाइ अपुट्ठे उदाइ, गोयमा ! पुढे उद्दाइ, नो अपुढे उद्दाइ । से भंते! किं सतरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ, एवं जहा खंदए जाव नो असरीरी निक्खमइ ॥ सू० १ ॥ होने के कारण द्वीप इस नामका ग्यारहवां उद्देशा है। सप्तमभवन - पतीन्द्र जो उदधिकुमार हैं सो इनके विषय की प्ररूपणा से युक्त होने के "कारण उदधिनाम का १२ वां उद्देशा है। अष्टम भवनपतीन्द्र जो “दिशोकुमार हैं सो इनके विषय का कथन करने वाला होने के कारण १३ उद्देशा दिशा नामका है। तथा दशवें भवनपतीन्द्र जो स्तनितकुमार है सो इनके विषय का प्रतिपादक होने के कारण १४ वां उद्देशा स्तनित नामका है । इस क्रम से इस १६ वें शतक में ये १४ प्रथम उद्देश कहे गये हैं। Ga નામ ‘દ્વીપ ’ એ પ્રમાણે છે. સાતમા ભવનપતીન્દ્ર જે ઉઋષિકુમાર છે તેમના વિષયની પ્રરૂપણાથી યુકત હાવાથી ખારમા ઉદ્દેશાનું નામ • ઉદધી’એ પ્રમાણે છે. આžમા ભવનપતિન્દ્ર જે દિશાકુમાર છે તેના સંબંધી કથન હોવાના आरचे तेरमा उद्देशानु' नाम 'दिशा' हे इशभा लवनस्यतीन्द्र ? स्तनितકુમાર છે. તેમના સબંધી પ્રતિપાદન કરનાર હાવાના કારણે ચૌદમા उद्देशानुः नाभ, 'श्तनित' से प्रभावे छे. : આ ક્રમથી આ સેાળમા શતકમાં ચૌદ ઉદ્દેશાએ કહેવામાં આવ્યા છે. 7
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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