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________________ भगवतीसरे चरमाणे गामाणुगामं जाव जेणेव सहलंबवणे उजाणे जाव विहरइ परिला निग्गया जाव पज्जुवालइ तए णं से गंगदत्ते गाहावई इमीसे कहाए लद्धहे समाणे हटतुटु जाव कयबलि जाव सरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खसइ पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं हथिणापुरं नयरं मझं मज्झेणं णिगच्छइ, णिगच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जेणेव मुणिसुव्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मुणिसुव्वयं अरहं तिक्खुत्तों आयाहिणपयाहिणेणं जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवालइ । तए णं मुणिसुब्बए अरहा गंगदत्तस्त गाहावइस्स तीसेय महति जाव परिसा पडिगया तएँ णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ० उठाए उट्टेइ उठाए उद्वित्ता मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी सदहामि णं भंते ! णिग्गंथे पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वदह जं नरं देवाणुप्पिया ! जेटुपुत्तं कुटुंबे ठावेमि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे जाव पव्वयामि। अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिवन्धं करेह । तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएणं अरहया एवं वुत्ते समाणे हटुतुट्ठ मुणिसुब्वयं अरहं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता मुणिसुब्वयस्स अरहओ अंतियाओ सहसंबवणाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ पडिनिवखमित्ता जेणेव हस्थिणापुरे नयरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवाग
SR No.009322
Book TitleBhagwati Sutra Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages714
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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